मोटापे से ग्रस्त माता-पिता के नवजात शिशुओं को बाद के जीवन में मेटाबोलिक डिसऑर्डर से संबंधित बीमारियां होने का खतरा संभव है।
खासकर मोटापे (obesity) से ग्रस्त महिलाओं से प्रेग्नेंसी के दौरान उनके बच्चों, विशेषकर लड़कों को, यह समस्या हो सकती है, ऐसा चूहों पर किए गए एक नवीनतम शोध में पता चला।
एप्लाइड फिजियोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित यह अध्ययन बताता है कि प्रेगनेंट माओं द्वारा व्यायाम करने से बच्चों में मोटापे से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं विकसित होने से रोकी जा सकती है।
बच्चों की सेहत और उनके जीन पर पेरेंट्स के मोटापे का असर देखने के लिए शोधकर्ताओं ने चूहों पर एक साथ दो अध्ययन किए।
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एक अध्ययन में कुछ चूहों-चुहियों को मोटापा लाने वाला चिकनाई युक्त खाना दिया गया और कुछ को सामान्य आहार खिलाया गया।
कुछ प्रेगनेंट मोटी चुहियों को एक पहिए पर एक्सरसाइज करवाई गयी और कुछ को नहीं।
अनुसंधान समूह ने सभी चूहों के जीन संशोधन, जीन अभिव्यक्ति, ब्लड शुगर और इंसुलिन के स्तर का विश्लेषण किया।
पहिए वाली एक्सरसाइज करने से प्रेगनेंट मोटी चुहियों के बच्चों में जन्म के बाद इंसुलिन और ग्लूकोज स्तर में सुधार मिला। यह सुधार पैदा हुए शिशु चूहों में चुहियों की अपेक्षा अधिक दिखा।
जिन चुहियों को प्रेगनेंसी में एक्सरसाइज सुविधा नहीं मिली थी उनके शिशु चूहों में इंसुलिन और ग्लूकोज में गड़बड़ी थी।
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एक्सरसाइज करने वाली मोटी चुहियों के सभी बच्चों में जीन परिवर्तन भी देखा गया।
खोजकर्ताओं ने अध्ययन के अंत में कहा कि शिशु चूहों और चुहियों पर उनके पिता के मोटापे की बजाए माता के मोटापे का असर ज्यादा हुआ।
यहीं नहीं, मां चुहियां की गर्भावस्था के दौरान की एक्सरसाइज से उसकी सभी संतानों पर सकारात्मक प्रभाव हुआ।