Elevated stress hormones linked to cardiovascular diseases: रोजमर्रा के तनाव को कंट्रोल करना जरूरी है नहीं तो ये आपके स्वास्थ्य को चौपट कर सकता है।
एक नई रिसर्च में तनाव करने वाले हार्मोन के उच्च स्तर वालों को अगले 6 से 7 वर्षों के अंदर हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत होने की ज्यादा संभावना बताई गई है।
इतना ही नहीं, तनाव हार्मोन कोर्टिसोल (Cortisol) के बढ़ने को दिल के दौरे और स्ट्रोक सहित अन्य दिल संबंधी बीमारियों के बढ़ते खतरे से भी जोड़ा गया है।
हालांकि, सामान्य ब्लड प्रेशर वाले 400 से अधिक वयस्कों के इस अध्ययन में, कम तनाव हार्मोन वालों को ये परेशानियां होने की आशंका नहीं थी।
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यह हालिया रिसर्च अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की पत्रिका हाइपरटेंशन में प्रकाशित की गई है।
रिसर्च में जीवन की घटनाओं, रिश्तों, कामकाज और धन-दौलत के चक्करों से प्रभावित शरीर के नॉरपेनेफ्रिन, एपिनेफ्रीन, डोपामाइन और कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन का बढ़ना देखा गया है।
इसलिए, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों को रोकने के लिए इन तनाव हार्मोन की नियमित जांच करवाने की आवश्यकता भी बताई गई है।
रिसर्च में भाग लेने वाले 48 से 87 वर्ष की आयु के 412 पुरुष और महिलाएं थीं। विशेषज्ञों ने इन चारों तनाव हार्मोन के स्तर को उनके रात भर के यूरिन टेस्ट से मापा।
साढ़े छ: साल तक उनके हेल्थ रिकॉर्ड देखने से पता चला कि हर बार चारों तनाव हार्मोन का स्तर दोगुना होने पर हाई बीपी के विकास में 21 से 31 फीसदी की वृद्धि हुई।
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यही नहीं, 11 वर्षों तक उनके कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर की जांच करने पर देखा गया कि इसके दोगुना होने पर हृदय संबंधी परेशानियों का खतरा 90 फीसदी तक बढ़ गया था।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, अच्छी सेहत और लंबी आयु के लिए अपने जीवन में तनाव लाने वाले कारणों की पहचान करें और उन्हें कम या नियंत्रित करने के तरीकों को अपनाएं।
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