दिल्ली का वायु प्रदूषण (Delhi air pollution) और हवा की गिरती गुणवत्ता (low air quality) ने यहाँ के निवासियों के लिए चिंताजनक हालात पैदा कर दिए है।
विशेषज्ञों की माने तो दिल्ली और इससे जुड़े NCR के निवासियों को बहुत जल्द इस हालात से छुटकारा मिलता नज़र नहीं आता। यहां तक कि दिवाली सिर्फ तीन दिन दूर है लेकिन सूरज निकलने पर भी शहर पर छाई भारी धुंध से राहत नहीं मिल रही।
सेंट्रल पोलुशन कंट्रोल बोर्ड (Central Pollution Control Board – CPCB) के अनुसार दिल्ली में एवरेज एयर क्वालिटी इंडेक्स (Average Air Quality Index -AQI) 476 है जोकि पोलुशन कण्ट्रोल बोर्ड द्वारा सभी शहरों और कस्बों में रिकॉर्ड किये गए वायु की खराब गुणवत्ता मामलों में सबसे अधिक है।
इसके अलावा पड़ोसी शहरों जैसे फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुड़गांव में भी “बहुत खराब” हवा की गुणवत्ता दर्ज की गई। वर्ल्ड हेल्थ ओर्गनइजेशन के अनुसार हवा की गुणवत्ता का स्टैण्डर्ड 60 and 100 μg / m3 होना चाहिए।
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क्या होना चाहिए एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index – AQI)
- 0-50 वाला AQI ‘अच्छा’।
- 51-100 वाला AQI ‘संतोषजनक’।
- 101-200 वाला AQI ‘मध्यम’।
- 201-300 वाला AQI ‘खराब’।
- 301-400 वाला AQI ‘बहुत खराब’।
- 401-500 वाला AQI ‘गंभीर’ ।
- 500-और इससे ऊपर वाला ‘इमरजेंसी केटेगरी’।
क्या है उपाय
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (Graded Response Action Plan – GRAP) जो दिल्ली में 15 अक्टूबर को लागू हुआ था, ने दिल्ली की हालिया स्थिति को देखते हुए निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध, ट्रकों के प्रवेश और कारों को सीमित चलाने के उपायों की सिफारिश की है।
राष्ट्रीय राजधानी और आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management) ने CPCB को संचालन और GRAP के उपायों की निगरानी का काम सौंपा है, जब तक कि इस स्थिति से निपटने के लिए एक नव-गठित पैनल स्थापित नहीं किया जाता।
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क्या खतरा हो सकता है
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, पीएम 2.5 के कण मानव फेफड़े और रक्त ऊतक में प्रवेश करने में सक्षम है और इनसे दिल और फेफड़ों की बीमारियों में समय से पहले मौतें हो सकती हैं। पीएम 2.5 बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इससे ज्यादा स्तर होने पर ही धुंध बढ़ती है और विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है।
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हवा की दिशा प्रदूषकों के ट्रांसपोर्ट के लिए अनुकूल नहीं
हालाकिं भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department – IMD) के एक अधिकारी ने कहा है कि दिल्ली में चल रही मुख्य हवा की दिशा पंजाब और हरियाणा में कृषि आग से निकले प्रदूषकों के ट्रांसपोर्ट के लिए अनुकूल नहीं है। शांत हवाएं और कम तापमान का जाल प्रदूषकों को जमीन के करीब रखता है, जबकि अनुकूल हवा की गति उनके फैलाव में मदद करती है।