Coronavirus spread through cash: कोरोना महामारी में कैश पर वायरस लगने से इंसानों में संक्रमण फैलने की बातें आपने भी जरूर सुनी होगी।
अब इस धारणा की सच्चाई बताई है यूरोपीय सेंट्रल बैंक और जर्मनी की एक रिसर्च यूनिवर्सिटी ने।
दोनों संस्थाओं के विशेषज्ञों की टीम ने एक परीक्षण द्वारा यह पता लगाया कि वास्तविक जीवन में कितने संक्रामक वायरस कणों को नकदी द्वारा इंसानों में स्थानांतरित किया जा सकता है।
साथ ही, यह भी जांचा गया कि कोरोना वायरस Sars-Cov-2 सिक्कों और नोटों पर कितने समय तक मौजूद रहता है।
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इसके लिए उन्होंने एक स्टेनलेस स्टील की सतह और कुछ नोट एवं सिक्कों पर संक्रामक वायरस छोड़ें।
जांच करने पर पता चला कि एक हफ्ते बाद भी वायरस स्टेनलेस स्टील पर मौजूद रहे, लेकिन बैंक नोटों पर तीन दिन और सिक्कों पर ज्यादा से ज्यादा छ: दिन तक एक्टिव रहे। उसके बाद किसी भी संक्रामक वायरस का पता नहीं चला।
यह भी देखा गया कि तांबे पर वायरस कम समय के लिए एक्टिव रहा।
इसके बाद टीम ने बैंक नोटों, सिक्कों और क्रेडिट/डेबिट कार्ड को हानिरहित कोरोनावायरस और उच्च सुरक्षा स्थितियों के तहत संक्रमण फैलाने वाले Sars-Cov-2 वायरस से दूषित किया।
परीक्षण करने वालों ने हानिरहित कोरोनावायरस अपनी उंगलियों से और Sars-Cov-2 को कृत्रिम त्वचा से छुआ।
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उन्होंने देखा कि कुछ ही क्षणों बाद किसी भी तरह के वायरस का कोई हस्तांतरण नहीं था।
इसलिए, वास्तविक परिस्थितियों में भी Sars-Cov-2 का नकदी से इंसानों में फैलने का जोखिम बहुत कम है।
परीक्षण के नतीजे फिर से इस बात की पुष्टि करते है कि कोरोना संक्रमण नकदी के बजाए हवा से या संक्रमित के खांसने-छींकने से निकली बूंदों द्वारा फैलता है। सतहों के माध्यम से भी संक्रमण लगभग न के बराबर होता है।
स्टडी में कोरोना के अल्फा वेरिएंट और अन्य वायरस वेरिएंट इस्तेमाल किए गए थे, लेकिन विशेषज्ञों का मानना था कि वर्तमान महामारी में तबाही मचाने वाला डेल्टा वेरिएंट भी इन्हीं वायरस की तरह प्रतिक्रिया करने वाला है।
अध्ययन को आईसाइंस जर्नल में प्रकाशित भी किया गया है।
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