Covid-19 patients heart health: कोरोना संक्रमण से ठीक हुए इंसानों के लिए अमेरिकी वैज्ञानिकों ने डराने वाली भविष्यवाणी की है।
एक रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए उन्होंने COVID-19 से ठीक हुए लोगों को एक साल के भीतर ही दिल का दौरा (Heart attack) पड़ने की संभावना जताई है, भले ही उनका संक्रमण स्तर कैसा भी क्यों न रहा हो।
सेंट लुइस अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र के विशेषज्ञों की मानें तो यह खतरा किसी भी उम्र, नस्ल, जाति और वजन के स्त्री-पुरुष को हो सकता है।
इससे जुड़े ठोस सबूत उन्हें लाखों कोरोना पॉजिटिव इंसानों की मेडिकल रिपोर्ट की तुलना वायरस संक्रमण से सुरक्षित रहे करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य से करने पर मिले।
- Advertisement -
समीक्षा में वायरस चपेट में आने के बावजूद स्वस्थ हो चुके इंसानों को एक साल में हार्ट फेलियर, हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम काफी अधिक पाया गया।
कोरोना से उबर चुके लोगों को असंक्रमित लोगों की अपेक्षा इन खतरों की संभावना 50 प्रतिशत से अधिक बताई गई।
साथ ही, वैज्ञानिकों ने आने वाले वर्षों में कोरोना से लाखों और हृदय संबंधी समस्याएं पैदा होने की आशंका भी जताई।
उनके अनुमान में वायरस पहले ही दुनिया भर में डेढ़ करोड़ अतिरिक्त कार्डियोवैस्कुलर संबंधित मामलों को पैदा कर चुका है।
संक्रमण के दौरान जब वायरस शरीर की कोशिकाओं पर हमला करता है तो दिल और इम्यून सिस्टम को नुकसान होता है। उसी समय हृदय समस्याओं का उपजना शुरू हो जाता है, ऐसी वैज्ञानिकों की गणना है।
- Advertisement -
नेचर मेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट का दावा है कि दिल की समस्याएं पहले स्वस्थ रहने वाले हल्के संक्रमितों में भी देखी गई है।
नतीजों के आधार पर वैज्ञानिकों ने कोरोना प्रभावित देशों को दिल की समस्याओं के मामलों में तेज वृद्धि से निपटने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी है।
नतीजों के लिए आंकड़े जनवरी 2021 तक कोरोना संक्रमित पाए गए 1,53,760 लोगों के हृदय स्वास्थ्य की जांच से मिले है।
उनकी तुलना एक करोड़ 15 लाख स्वस्थ लोगों से की गई थी जो संक्रमित नहीं हुए थे।
संक्रमितों की सेहत पर साढ़े 11 महीने तक नजर रखने के बाद पाया गया कि संक्रमण के एक महीने बाद COVID-19 वाले व्यक्तियों को कई हृदय जटिलताओं का खतरा बढ़ गया था।
इनमें सेरेब्रोवास्कुलर डिसऑर्डर, डिसरिथमिया, इस्केमिक और गैर-इस्केमिक हृदय रोग, पेरिकार्डिटिस, मायोकार्डिटिस, हार्ट फेलियर और थ्रोम्बोम्बोलिक डिजीज प्रमुख थी।
ये जोखिम उन व्यक्तियों में भी स्पष्ट थे जिन्हें संक्रमण की तेज लहर के दौरान हल्के लक्षणों के चलते अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया था।
रिपोर्ट में प्रकाशित तथ्य इस बात का प्रमाण देते है कि तीव्र COVID-19 से बचे लोगों में हृदय रोग का जोखिम एक साल में ही पर्याप्त रूप से दिखाई देना पक्का है।
दिल की समस्याओं का बढ़ता जोखिम उन लोगों में ज्यादा बताया गया है, जिन्होंने संक्रमण से उबरने के बाद कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाई।
वैज्ञानिकों ने COVID-19 से बचे लोगों की देखभाल में हृदय और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं पर ध्यान देना की अधिक जरूरत बताई है।
Also Read: कोरोना पॉजिटिव के हालात बयां करेगा बस एक ब्लड टेस्ट