तेजी से फैलती कोरोना महामारी (COVID-19) का इलाज करना इतना कठिन क्यों है, इस बारे में आयरलैंड के खोजकर्ताओं ने खुलासा किया है।
जानी-मानी साइंस पत्रिका, द लांसेट में छपी उनकी समीक्षा के मुताबिक, COVID-19 वायरस की एक अनूठी संक्रामक रूपरेखा है।
यही कारण है कि इसका इलाज करना इतना कठिन है और कुछ संक्रमित मरीज ठीक होने के महीनों बाद भी कई स्वास्थ्य समस्याओं को झेल रहे है।
ऐसा बताने वाले ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन और सेंट जेम्स हॉस्पिटल के खोजकर्ताओं ने वायरस की कार्यविधि का खुलासा करते हुए इसे ऊपरी और निचले श्वसन तंत्र दोनों को संक्रमित करने वाला बताया।
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उनके मुताबिक, अभी तक कम रोगजनक कोरोनावायरस उप-प्रजातियां आमतौर पर ऊपरी श्वसन तंत्र (upper respiratory tract) को संक्रमित कर नजला-जुकाम पैदा करती थी। जबकि सार्स (SARS) और एआरडीएस (ARDS) जैसे घातक रोग वाले वायरस निचले श्वसन तंत्र (lower respiratory tract) को संक्रमित करते थे।
इसके साथ ही, कई अंगों पर लगातार बुरा असर, रक्त के थक्के और असामान्य इम्यून सिस्टम प्रतिक्रिया पिछले समान वायरसों में संभव नहीं था।
मतलब साफ़ है कि COVID-19 ने अपने अंदर अभूतपूर्व विशेषताओं को विकसित किया हुआ है।
इसीलिए जानवरों और प्रायोगिक मॉडल पर हुए अध्ययनों के निष्कर्ष मनुष्यों पर काम नहीं कर पाए।
संक्रमण रोकने में असमर्थ इम्यून सिस्टम शरीर को वायरस से लड़ने के तरीकों को गलत ढंग से बता रहा है।
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परिणामस्वरूप, कुछ मरीज लंबे समय तक संक्रमित हो रहा है, जिससे उनके फेफड़े भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुए है।
लाखों इंसानों को मारने वाली कोरोना महामारी के SARS-CoV-2 वायरस ने दुनिया के सामने 1918 की स्पेनिश फ्लू महामारी के बाद एक गंभीर स्वास्थ्य संकट खड़ा कर दिया है।
इस कारण खोजकर्ताओं का प्रस्ताव था कि कोरोना महामारी को ऐसी नई बीमारी के रूप में देखा जाना चाहिए जिसकी संक्रामक रुपरेखा अज्ञात है।
लोगों का इलाज करते समय इसकी विशेषताओं और विभिन्न पैथोफिज़ियोलॉजी (pathophysiology) के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है।
उनका कहना था कि विभिन्न रोगियों पर हुए वायरस के असर से जुड़ी पहेलियों को सुलझाकर ही मौजूदा उपचार के दिशानिर्देशों में संशोधन किया जा सकता है।
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