COVID-19 and Obesity: मेडिकल जगत से जुड़े सभी विशेषज्ञों ने मोटापे से ग्रस्त इंसानों को कोरोना वायरस से जानलेवा खतरा बताया है।
लेकिन अमेरिका के क्लीवलैंड क्लिनिक की एक स्टडी ने कोरोना के चंगुल से बच निकले मोटे इंसानों को भी लंबे समय तक इस बीमारी के दुष्प्रभाव झेलने की आशंका जताई है।
ऐसी संभावना मामूली या गंभीर श्रेणी के मोटापे (Obesity) से ग्रस्त मरीजों में ज्यादा बताई गई है।
हालांकि, बीमारी से ठीक हुए सामान्य वजन वाले मरीजों को लंबे दुष्प्रभावों से सुरक्षित बताया गया है।
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स्टडी को हाल ही में ऑनलाइन जर्नल ऑफ डायबिटीज, ओबेसिटी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित किया गया है।
स्टडी के विशेषज्ञों का कहना था कि वायरस संक्रमित होते ही मोटापे के मरीजों की हालत गंभीर होनी शुरू हो जाती है।
इस वजह से उन्हें बीमारी के शुरुआती चरण में ही अस्पताल, गहन देखभाल और वेंटिलेटर की आवश्यकता हो सकती है।
हृदय रोग, रक्त के थक्कों और फेफड़ों की खराब स्थिति से जुड़े होने के अलावा, मोटापा प्रतिरक्षा प्रणाली को भी कमजोर करता है। ऐसे में SARS-CoV-2 वायरस संक्रमितों की हालत बदतर हो जाती है।
इस कारण, ठीक होने के बावजूद मोटापे वाले रोगियों में COVID-19 की दीर्घकालिक जटिलताओं के विकसित होने का अधिक जोखिम बना रहता है।
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ऐसी जानकारी विशेषज्ञों को संक्रमित रोगियों की लगभग एक साल तक निगरानी के बाद मिली।
ठीक होने के बाद भी उन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आई, जिन्हें संक्रमण के बाद की स्थिति (PASC) बताया गया है।
दिल, फेफड़ों, गुर्दे, पेट और मानसिक स्वास्थ्य की इन दिक्कतों का टेस्ट करवाने की आवश्यकता सामान्य वजन वालों की अपेक्षा मध्यम और गंभीर मोटापे वाले रोगियों में क्रमशः 25 फीसदी और 39 फीसदी अधिक थी।
यही नहीं, अस्पताल में भर्ती का खतरा भी मोटापे वाले रोगियों को ज्यादा था।
विशेषज्ञों के अनुसार, कमजोर इम्यून सिस्टम और बीमारियों की अधिकता के कारण ही मोटापे वाले संक्रमित मरीजों में ठीक होने के बाद भी लंबे समय तक चलने वाली जटिल समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है।
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