ब्रिटेन में फैलने वाला कोरोना का नया रूप, जिसे वैज्ञानिकों ने B.1.1.7 नाम दिया है, चीन में मिले साल 2019 के कोरोना से ज्यादा ताकतवर है और जल्द ही यह सम्पूर्ण विश्व में अपनी पकड़ मजबूत कर लेगा।
ऐसा अंदेशा यूके के आनुवंशिक निगरानी कार्यक्रम की प्रमुख शेरोन पीकॉक ने जताया है।
समाचार संस्थान बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कोविड -19 जीनोमिक्स यूके (कोग-यूके) के निदेशक शेरोन पीकॉक ने कहा कि नए वेरिएंट ने पूरे देश को बुरी तरह से प्रभावित किया है और इसके अब दुनिया को अपनी गिरफ्त में लेने की पूरी संभावना है।
“एक बार जब हम इसके शीर्ष पर पहुंच जाते है या यह स्वयं ही खतरनाक बीमारी फैलाने के बाद बदल जाता है तो ही हम इसके बारे में चिंता करना बंद कर सकते है। लेकिन मुझे लगता है भविष्य को देखते हुए हम वर्षों में ही ऐसा कर पाएंगे।”
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शेरोन मानती है कि ऐसा करने में हमें अभी भी 10 साल लगेंगे।
86 देशों में पाया गया है कोरोना का नया रूप
अधिक संक्रामक ब्रिटिश वायरस संस्करण से जुड़ा पहला मामला सितंबर 2020 के अंत में दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड में दर्ज किया गया था। तब से नए संक्रमणों में पाया जाने वाला यह सबसे आम स्ट्रेन बन गया और अन्य देशों में भी फैल गया।
इस हफ्ते, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने घोषणा की है कि संक्रमण में तेजी दिखाते हुए ब्रिटेन का Covid-19 संस्करण – B.1.1.7 – 86 देशों में पाया गया है और प्रारंभिक निष्कर्षों में बीमारी की गंभीरता में वृद्धि के कुछ सबूत मिले है।
7 फरवरी तक, अतिरिक्त छह देशों ने इस संस्करण के मामलों की सूचना दी है।
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एक नए अध्ययन में यह भी सुझाव दिया गया है कि महामारी से सर्वाधिक प्रभावित देश अमेरिका में यूके संस्करण तेजी से फैल रहा है।
नए कोरोना वायरस पर वैक्सीन प्रभाव अस्पष्ट
अनेक दवाई कंपनियों द्वारा विकसित टीकों ने पुराने कोरोनावायरस को काबू करने का दावा तो किया है लेकिन यह कम स्पष्ट है कि दुनिया भर में उभरे कई अन्य वेरिएंटों के खिलाफ ये कितनी अच्छी तरह से काम करेंगे, विशेष रूप से दक्षिण अफ्रीका के नए स्ट्रेन के बाद।
हालांकि ब्रिटिश निदेशक शेरोन पीकॉक ने यह भी कहा कि यूके में इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन देश में वायरस के मौजूदा वेरिएंट के खिलाफ अच्छी तरह से काम करती दिखाई दे रही है।