दुनिया भर में लाखों लोगों को लील जाने वाली कोरोना (Covid-19) महामारी का SARS-CoV-2 वायरस आने वाले कई सालों तक इंसानों को तंग करता रहेगा, ऐसा वैज्ञानिकों के एक दल ने अनुमान लगाया है।
हालांकि, तब इसका प्रभाव सामान्य सर्दी-जुकाम और खांसी से ज्यादा नहीं होगा।
अमेरिका की यूटा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने कुछ गणितीय मॉडलों के आधार पर यह भविष्यवाणी की।
जर्नल वाइरस में प्रकाशित उनकी रिसर्च का कहना था कि बदलते समय के साथ जनसंख्या वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी (Immunity) विकसित कर लेगी, जिससे इसकी गंभीरता कम हो जाएगी।
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विशेषज्ञों की माने तो अन्य मौसमी कोरोनावायरस (Coronavirus) प्रजातियों में SARS-CoV-2 वायरस सबसे घातक पाया गया। इंसानों में बीमारी फैलने वाले अन्य वायरस इसके जितने खतरनाक नहीं होते।
वैज्ञानिकों की खोज में पता चला कि ऐसे ही प्रजातियों में से किसी ने 19वीं शताब्दी के अंत में “रूसी फ्लू” महामारी को जन्म दिया था, जिसकी गंभीरता समय बीतने पर क्षीण हो गई।
इसी आधार पर बनाये गए उनके मॉडलों ने SARS-CoV-2 वायरस के प्रभावों को कमजोर करने में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की भूमिका बताई।
उनके मुताबिक, इंसानों के महामारी की चपेट में आने का प्रमुख कारण प्रतिरक्षा प्रणाली की नए वायरस के प्रति अज्ञानता थी।
जैसे-जैसे हल्के संक्रमण या टीकाकरण के कारण लोगों की इम्यूनिटी बढ़ती जाएगी, आने वाले समय में गंभीर संक्रमण कमजोर होता जाएगा, ऐसा टीम का अनुमान था।
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आखिरकार, वायरस के संपर्क में पहली बार आने वाले इंसान ही गंभीर संक्रमण के शिकार होंगे।
क्योंकि बच्चे अभी तक इस संक्रमण से दूर है इसलिए उन्हें ही गंभीर बीमारी हो सकती है, लेकिन उनकी प्राकृतिक रूप से मजबूत इम्यूनिटी के चलते ऐसी संभावना कम ही होगी।
इंसानों को वायरस से बचाने में हल्के और गंभीर COVID-19 संक्रमणों में से कौन से प्रभावी होंगे, इस बारे में वैज्ञानिक हल्के संक्रमण के पक्ष में थे।
उनकी राय में ऐसे मामलों से ही प्रतिरक्षा प्रणाली को गंभीर संक्रमण से लड़ने में मदद मिलेगी।
हालांकि, आशंका यह भी थी कि अकेले भविष्यवाणी के दम पर ही महामारी फैलाने वाले वायरस के तौर-तरीकों को जाना नहीं जा सकता।
अगर वायरस के नए वैरिएंट्स ने हल्के संक्रमण से मिलने वाली शुरुआती इम्यूनिटी को विफल कर दिया तो Covid-19 और भी खतरनाक हो जाएगा।
वैज्ञानकों के अनुसार, ये भविष्यवाणियां तभी टिकेंगी जब अनुमानित प्रमुख धारणाएं सही साबित हों।
इसलिए वर्तमान महामारी का रूप अच्छी या बुरी कौन सी दिशा में जा रहा है और हल्के मामलें बढ़ रहे है या नहीं, आदि आंकड़ों से भविष्यवाणियों की तुलना करने पर ही आने वाले समय में इसके प्रभाव को जाना जा सकता है।
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