कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप से अभी तक सुरक्षित समझे गए स्वस्थ युवाओं को भी दिल से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, ऐसी आशंका एक नई रिसर्च ने जताई है।
एक्सपेरिमेंटल फिजियोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च, अस्पताल में भर्ती न होने वाले हल्के लक्षणों के स्वस्थ युवाओं पर COVID -19 के संभावित दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों को उजागर करती है।
ऐसे युवाओं में विशेषतया धमनियों (Arteries) की बढ़ती कठोरता पाई गई, जो उनके दिल की सेहत को प्रभावित कर सकती है।
इसका अर्थ यह रहा कि हल्के COVID-19 लक्षणों वाले स्वस्थ युवाओं में भी दिल से संबंधी जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है, जो संक्रमण होने के बाद कुछ समय तक जारी रह सकता है।
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रिसर्च में ऐसी स्थिति गंभीर रूप से संक्रमित अन्य इंसानों में भी होने का अंदेशा जताया गया।
COVID-19 महामारी फैलाने वाला SARS-CoV-2 वायरस भले ही मुख्य रूप से श्वसन तंत्र से जुड़ा हुआ है, तो भी अन्य अध्ययनों ने इससे संक्रमित होने के तीन से चार सप्ताह बाद तक 18 से 30 के वयस्कों में रक्त वाहिका (Blood Vessel) प्रक्रिया में परिवर्तन दिखाया है।
ऐसा अधेड़ों और बुजुर्गों में भी संक्रमण के महीनों बाद देखा गया है।
नार्थ कैरोलिना की एक यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ दल ने वायरस का सारी धमनियों पर हानिकारक प्रभाव देखा, जिसमें मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली कैरोटिड धमनी (Carotid Artery) भी शामिल थी।
ऐसा प्रभाव लक्षणों के खत्म होने के बाद भी लंबे समय तक जारी रहा।
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विशेषज्ञों ने संक्रमित युवाओं की कैरोटिड धमनी और दिल की धड़कन जांचने पर ऐसा असर देखा।
उनकी धमनी स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है या नहीं, यह देखने के लिए ऐसे युवाओं पर छः महीने तक नजर रखी जाएगी।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना था कि भले ही युवाओं के लक्ष्णों में सुधार हो जाए, फिर भी उनकी धमनियों की सेहत जल्दी से ठीक नहीं हो सकती।
रिसर्च के निष्कर्ष ऐसे स्वस्थ युवाओं पर कोरोनावायरस के संभावित लंबे समय तक रहने वाले प्रभाव बताते है, जो शायद सोचते है कि वायरस उन्हें प्रभावित नहीं कर पाएगा।
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