एक रिसर्च ने कोरोना (COVID-19) और लॉकडाउन (Lockdown) के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में और अधिक खुलासा किया है।
यूके के वेल्स एनएचएस, स्वानसी और कार्डिफ़ विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की एक टीम ने एक सर्वे के अध्ययन से पता किया कि शारीरिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने के अलावा, COVID-19 महामारी ने इंसानों के मानसिक स्वास्थ्य को भी काफी हद तक प्रभावित किया है।
फलस्वरूप, आत्महत्या (Suicide) की दर में वृद्धि की संभावना सामने आई है।
यही नहीं, आर्काइव्स ऑफ सुसाइड रिसर्च नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन ने आत्मघाती विचारों और व्यवहारों को प्रेरित करने वाले कोरोना संबंधित तनावों का भी पता लगाया।
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इनमें सामाजिक अलगाव, घरेलू दुर्व्यवहार, रिश्तों में समस्याओं का पैदा होना, बेरोजगारी और वित्तीय समस्याएं प्रमुख थी।
वेल्स की एक संस्था द्वारा किए सर्वेक्षण में 12,000 से अधिक निवासी शामिल हुए थे। उन्होंने ब्रिटेन के पहले लॉकडाउन के दौरान अपने अनुभवों को साझा किया।
हालांकि, इन दिक्कतों को झेलने वाले सभी इंसानों में आत्महत्या के विचार नहीं थे। जीवन के प्रति आशावादी और लचीलेपन का दृष्टिकोण रखने वाले ऐसे दबावों से कम प्रभावित थे।
विशेषज्ञों के अनुसार, लॉकडाउन हटने के बाद इनमें से कुछ परेशानियों में कमी हो सकती है, लेकिन अन्य भविष्य में भी जारी रह सकती है।
ऐसे में भविष्य प्रति आशावादी बने रहना और मुसीबतों से मुकाबले में लचीलापन बनाएं रखना अति आवश्यक है।
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उनकी सलाह थी कि समाज के लोगों को जहां तक हो सकें ऐसे संकट से उबरने में पीड़ितों की मदद करनी चाहिए।
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