कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic) को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन (Lockdown) से देश की खराब वायु गुणवत्ता (Air Quality) में सुधार हुआ, ऐसा एक अध्ययन से पता चला है।
अध्ययन यूके के साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय और भारत के झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया।
उनके सयुंक्त प्रयासों ने बताया कि भारत में साल 2020 में लगाए गए पहले COVID-19 लॉकडाउन से देश भर के प्रमुख शहरी क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता में सुधार और भूमि की सतह के तापमान में कमी हुई। .
इसके लिए वैज्ञानिकों ने महामारी पूर्व वर्षों के साथ साल 2020 के मार्च से मई महीने तक के लॉकडाउन आंकड़ों की तुलना की।
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उन्होंने ऐसे पर्यावरणीय सुधारों के पीछे कोरोना प्रतिबंधों के चलते औद्योगिक गतिविधियों में आई गिरावट के अलावा जमीन और हवाई परिवहन के कम उपयोग को मुख्य कारण बताया।
वायु गुणवत्ता और तापमान की सटीक जानकारी के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सेंटीनेल -5 पी और नासा के मोडिस सेंसर सहित पृथ्वी की निगरानी करने वाले अन्य सेंसर से प्राप्त तथ्यों का उपयोग किया।
उन्होंने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलोर और हैदराबाद जैसे छह प्रमुख शहरी क्षेत्रों के वातावरण पर ध्यान केंद्रित किया।
वैज्ञानिकों ने पेट्रोल-डीजल और कोयले से निकलने वाली खतरनाक ग्रीनहाउस गैस नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) में उल्लेखनीय कमी बताई।
यह पूरे भारत में औसतन 12 प्रतिशत और छह शहरों में 32 प्रतिशत की कमी के बराबर थी।
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यही नहीं, अकेले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 40 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।
जानकारों के मुताबिक, भारत में प्रदूषित वायु के संपर्क में आने से सालाना लगभग 16,000 असमय मौतें होती है।
कोरोना प्रतिबंधों के चलते भारत के प्रमुख शहरों में भूमि की सतह के तापमान में भी पिछले पांच सालों (2015-2019) के मुकाबले काफी गिरावट दर्ज की गई।
इसमें दिन का तापमान 1 डिग्री सेल्सियस और रात का 2 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा रहा।
सतह के तापमान के साथ-साथ, भारत के प्रमुख हिस्सों में वायुमंडल के शीर्ष पर मौजूद वायुमंडलीय प्रवाह में भी काफी गिरावट दर्ज की गई।
पर्यावरण अनुसंधान से जुड़ी एक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष, बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय सुधारों से संबंधित नीति लागू करने से देश को होने वाले फायदों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करते है।
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