वैज्ञानिकों ने एक नए परीक्षण में देखा है कि तापमान और आर्द्रता SARS-Cov-2 वायरस-जैसे कणों (virus-like particles) की संरचना को प्रभावित कर सकते हैं।
अमेरिका के यूटाह विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि सर्दियों में तापमान गिरने पर वायरस लंबे समय तक संक्रमणकारी रह सकता है।
‘बायोकेमिकल एंड बायोफिजिकल रिसर्च कम्युनिकेशन्स’ नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, ये वायरस-जैसे कण (virus-like particles) कोरोना वायरस के बहरी ढांचे जैसे होते हैं।
उन्होंने कहा कि परीक्षण किए गए वायरस-जैसे कण उसी लिपिड और 3 प्रकार के प्रोटीन से बने खोखले कण होते हैं, जैसा कोरोनावायरस में होता है। लेकिन उनमें जीनोम नहीं होता, इसलिए उनसे संक्रमण का खतरा नहीं होता।
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इस शोध में वैज्ञानिकों ने वायरस-जैसे कणों की जांच, कांच की सतह पर शुष्क और नमी वाले वातावरण में की। शोधकर्ताओं ने कहा कि कोरोनावायरस सामान्य रूप से तब फैलता है, जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है।
उन्होंने कहा कि खांसने या छींकने से निकलने वाली बूंदें जल्दी ही सूख जाती हैं इसलिए उनसे निकले सूखे और नमी वाले वायरस के कण संपर्क में आई किसी भी सतह पर बैठ जाते हैं।
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उन्नत माइक्रोस्कोपी तकनीक की मदद से वैज्ञानिकों ने बदलते हुए वातावरण में वायरस-जैसे कणों में आए बदलाव को देखा। उन्होंने इन कणों के नमूनों को विभिन्न तापमान पर दो स्थितियों में परखा। एक स्थिति में उन्हें तरल में डाला गया, दूसरे में शुष्क वातावरण में रखा गया।
उन्होंने पाया कि सिर्फ मध्यम तापमान बढ़ने से ही वायरस की संरचना टूट गई, जबकि इस पर आर्द्रता का प्रभाव बहुत कम था।
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संक्रामक बने रहने के लिए, SARS-Cov-2 मेम्ब्रेन को एक विशेष क्रम में बने प्रोटीन के एक विशिष्ट वेब की आवश्यकता होती है। जब यह ढांचा अलग हो जाता है, तो यह कम संक्रामक हो जाता है।
निष्कर्ष बताते हैं कि जैसे-जैसे तापमान गिरना शुरू होगा, सतहों पर कण लंबे समय तक संक्रामक बने रहेंगे। वैज्ञानिकों के अनुसार, सामान्य तापमान या ठंड के मौसम में ये कण ज्यादा समय तक संक्रमणकारी रह सकते है।
यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर और इस शोध के सह-लेखक माइकल वर्शिनिन ने बताया, “तापमान से भारी अंतर पड़ता है और यही हमने देखा है। आश्चर्य की बात है कि इन्हें तोड़ने के लिए थोड़ी-सी ही गर्मी, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं, काफी थी। इस वायरस की पैकेजिंग तापमान के प्रति बहुत संवेदनशील है।”