COVID-19 antibodies in breast milk: एक नए अध्ययन ने शिशुओं की माताओं के दूध में कोरोना वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी मिलने की जानकारी दी है।
यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर मेडिकल सेंटर और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में इस बात के जबरदस्त प्रमाण मिले है।
अध्ययन में, COVID-19 के खिलाफ दो प्रकार की इम्युनिटी (Immunity) वाली माताओं का पता चला है।
एक में कोरोना संक्रमित होने पर, जबकि दूसरी में वैक्सीन लगवाने से SARS-CoV-2 (कोरोना वायरस) के विरुद्ध एंटीबॉडी बनी। इसके पुख्ता सबूत उनके दूध में मौजूद एंटीबॉडी के स्तर को जांचने से हासिल हुए।
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स्तन के दूध में एंटीबॉडी के स्तर को निर्धारित करने के लिए 77 माताओं से नमूने एकत्र किए गए थे। इनमें संक्रमित से 47 और वैक्सीन समूह से 30 नमूने शामिल थे।
पता चला कि संक्रमित होने से मिली इम्युनिटी ने माताओं के दूध में वायरस के खिलाफ उच्च स्तर के इम्युनोग्लोबुलिन ए (IgA) एंटीबॉडी का, जबकि वैक्सीन से प्राप्त इम्युनिटी ने मजबूत इम्युनोग्लोबुलिन जी (IgG) एंटीबॉडी का उत्पादन किया था।
अध्ययन के अनुसार, IgA और IgG दोनों ही एंटीबॉडी SARS-CoV-2 को रोकने में सक्षम पाई गई है, जो संक्रमण के तीन महीने बाद तक मौजूद रहती है।
हालांकि, वैक्सीन लगवा चुकी माताओं के दूध की एंटीबॉडी में टीकाकरण के तीन महीने बाद हल्की से मामूली गिरावट तक का प्रमाण भी मिला है।
जामा पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित इस स्टडी के विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही माताओं के दूध में एंटीबॉडी प्रतिक्रिया मौजूद है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि बच्चों को कोरोना बीमारी से खतरा नहीं होगा।
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माताओं के एंटीबॉडी युक्त दूध को शिशुओं और बच्चों के लिए वैक्सीन का विकल्प नहीं मानना चाहिए।
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