कोरोना महामारी से पूरी दुनिया में नागरिकों की हेल्थ और प्रोफेशन पर बुरा प्रभाव पड़ा है। अब एक सर्वे में डॉक्टरों के बाद टीचरों ने भी महामारी से नौकरी और स्वास्थ्य में आई समस्याओं को बताया है।
अमेरिका के 1,000 से ज्यादा स्कूल शिक्षकों में हुए एक सर्वे में अधिकतर स्कूल शिक्षकों ने बढ़ते तनाव को महामारी से पहले और बाद में नौकरी छोड़ने का कारण बताया।
पब्लिक स्कूल में पढ़ाने के दौरान चार में से तीन शिक्षकों ने तो काम को अक्सर या हमेशा ही तनावपूर्ण बताया।
तनाव नौकरी छोड़ने की प्रमुख वजह
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सर्वेक्षण में शिक्षकों ने अपर्याप्त वेतन के बजाए लगभग दोगुने हो चले तनाव को नौकरी छोड़ने की प्रमुख वजह बताया।
अधिकांश पूर्व शिक्षकों ने कम या समान वेतन पर ही नौकरी की और 10 में से 3 बिना किसी स्वास्थ्य बीमा या रिटायरमेंट लाभ के भी नौकरी करते रहे।
सर्वे के मुताबिक, COVID-19 ने शिक्षकों के तनाव को बहुत बिगाड़ दिया था।
कोरोना में घर से अधिक घंटे काम करने के अपरिचित वातावरण ने शिक्षकों के तनाव को और बढ़ा दिया और रही-सही कसर ऑनलाइन शिक्षा के दौरान लगातार आने वाली तकनीकी समस्याओं ने पूरी कर दी।
मार्च 2020 के कोरोना फैलने के बाद आधे पब्लिक स्कूल के शिक्षकों ने जल्दी और मर्जी से नौकरी छोड़ने के पीछे संक्रमित होने के डर को मुख्य कारण बताया।
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लेकिन महामारी से जुड़े विभिन्न तनावों ने शिक्षकों को अलग ढंग से प्रभावित किया।
अपर्याप्त वेतन और बच्चों की बढ़ती जिम्मेदारियों ने 40 साल से कम उम्र के शिक्षकों की नौकरी छुड़वाई, जबकि बुजुर्ग होते शिक्षकों को उनकी सेहत ने ऐसा करने पर मजबूर किया।
लेकिन जो अभी भी शिक्षा के क्षेत्र में है वो शेडूयल में आए लचीलेपन से हुए काम के बेहतर माहौल में खुश है।
शिक्षकों ने अपनाया अलग पेशा
शिक्षक की नौकरी छोड़ चुके 10 में से 3 शिक्षक अब गैर शिक्षा संबंधित नौकरी करते हैं, 3 एक अलग प्रकार की शिक्षण जॉब में है और बाकी गैर-शिक्षण (non-teaching) जॉब कर रहे है।
हालांकि स्कूलों के लिए अच्छी खबर यह है कि पहले नौकरी छोड़ने वाले कई शिक्षक अब कुछ शर्तों के तहत फिर से पढ़ाने को तैयार है।
उनका कहना है कि पहले ज्यादातर स्टाफ को या तो वैक्सीन लगे या फिर विधार्थियों और स्टाफ का नियमित कोरोना टेस्ट हो।
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