दुनिया भर के देशों को कोरोना महामारी के प्रति सजग करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरस के डेल्टा स्वरुप (Delta Variant) को हल्के में न लेने की चेतावनी दी है।
संगठन के अनुमान मुताबिक, COVID-19 का डेल्टा संस्करण अब लगभग 100 देशों में मौजूद है और आने वाले दिनों में इसके विश्व स्तर पर अत्यधिक संक्रमणीय रूप धारण करने की संभावना है।
संगठन ने इसे बढ़ाने वाले कई कारकों में SARS-CoV-2 वायरस के अधिक संक्रामक रूपों का बनना और प्रसार, सामाजिक दूरी की समाप्ति, आबादी गतिशीलता में वृद्धि, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना, असमान और अपर्याप्त टीकाकरण आदि को प्रमुख बताया है।
पहले भी डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने डेल्टा संस्करण को अब तक पहचाने गए वेरिएंट में सबसे अधिक संक्रमणीय बताया था, जिसका बिना टीकाकरण वाली आबादी के बीच तेजी से फैलने का डर था।
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29 जून, 2021 के कोविड वीकली एपिडेमियोलॉजिकल अपडेट में डब्ल्यूएचओ ने 96 देशों में डेल्टा के मामलों की सूचना दी थी। सूचना कई देश द्वारा संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने के बढ़ते मामलों पर आधारित थी।
अभी तक वायरस के बहुत से रूप अन्य देशों में देखने को मिले है, लेकिन उन सभी में संगठन ने डेल्टा को ज्यादा घातक करार दिया है।
गौरतलब है कि भारत में दूसरी लहर के दौरान तबाही मचाने वाला यही वायरस माना गया है।
इसकी ट्रांसमिसिबिलिटी में वृद्धि को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि डेल्टा संस्करण के आने वाले महीनों में अन्य वेरिएंट को तेजी से पछाड़ने और प्रमुख संस्करण बनने की उम्मीद है।
संगठन का कहना है कि जैसे-जैसे कुछ देशों सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक प्रतिबंधों में ढील दे रहे है, वैसे-वैसे दुनिया भर में वायरस संचरण में वृद्धि हो रही है।
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इनमें यूके, ब्राजील, कोलंबिया, रूस, अर्जेंटीना, बांग्लादेश, इंडोनेशिया आदि शामिल है। भारत में तो अब डेल्टा प्लस वेरिएंट के बारे में भी राज्यों को चेतावनी जारी की गई है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, कोरोना महामारी के दूसरे साल में भी देशों की स्थिति अत्यधिक नाजुक बनी हुई है। ऐसे में नए वेरिएंट्स का आना और कुछ देशों की आबादी में संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने के बढ़ते मामले चिंताजनक विषय है।
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