कोरोना महामारी से पूरी दुनिया में त्राहि मचाने वाला SARS-CoV-2 वायरस हवा के माध्यम से ही इंसानों को संक्रमित कर रहा है, ऐसा वैज्ञानिकों ने एक नई समीक्षा में कहा।
रिसर्च से जुड़े यूके, यूएसए और कनाडा के छह विशेषज्ञों के अनुसार, इस ओर पर्याप्त ध्यान न दिए जाने के कारण ही सारे बचाव उपाय विफल हुए और वायरस तेजी से फैला।
मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने बड़े ड्रॉपलेट गिरने से संक्रमण फैलने की बात को नकारते हुए कहा कि संक्रमित सतहों से इसके प्रसार के पक्के सबूत नहीं मिले।
उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य स्वास्थ्य एजेंसियां को संक्रमण फैलने संबंधित विवरण को जल्द से जल्द वैज्ञानिक सबूतों के अनुरूप ढ़ालने की सिरफिश की, ताकि हवा से होने वाले वायरस प्रसार को तुरंत रोका जा सके।
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विशेषज्ञों की टीम ने मुख्यतः हवा से महामारी फैलने की प्रबलता बताने के लिए 10 सबूतों को आधार बनाया।
उनकी सूची में सबसे ऊपर ऐसी सुपर-स्प्रेडर घटनाएं है, जहां कोरोना संक्रमण सिर्फ एक संक्रमित से ही कई इंसानों में फैला।
पिछले अध्ययन भी ऐसी घटनाओं में निकट संपर्क, साझा सतहों या वस्तुओं को छूने से संक्रमण लगने को सही तौर पर नहीं समझा सके।
इसके अलावा, SARS-CoV-2 के फैलने की दर खुली जगहों की अपेक्षा बंद जगहों में बहुत अधिक देखी गई। लेकिन इनडोर वेंटिलेशन (indoor ventilation) द्वारा ट्रांसमिशन बहुत कम होते देखा गया।
विशेषज्ञों की टीम ने आकलन करते हुए बताया कि बिना स्पष्ट लक्षण वालों की खांसी या छींक से SARS-CoV-2 वायरस का फैलाव कम से कम 40 फीसदी हुआ। इस ‘दबे पांव’ प्रसार से ही COVID-19 दुनिया भर में फैल गया।
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उन्होंने ऐसे उदहारणों का भी हवाला दिया, जिसमें होटलों के परस्पर कमरों में रह रहें लोगों के बीच भी वायरस ने लंबी दूरी तक संक्रमण किया। ऐसे लोग तो कभी एक-दूसरे के संपर्क में भी नहीं आए।
इसके विपरीत, उन्हें ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि वायरस बड़ी बूंदों के माध्यम से आसानी से फैला हो, जो हवा से जमीन या अन्य जगहों पर तेजी से गिरे और सतहों को दूषित किया।
नई रिसर्च में महामारी को कम करने के लिए हाथ धोने और सतह की सफाई की अपेक्षा हवा में सांस लेने से शरीर में जाने वाले संक्रामक कणों को रोकने पर ज्यादा जोर देने सलाह दी गई।
उनके मुताबिक, यदि एक संक्रामक वायरस मुख्य रूप से हवा के जरिए फैलता है, तो किसी भी संक्रमित व्यक्ति के सांस लेने, छोड़ने, बोलने, चिल्लाने, गाने या छींकने से वायरस दूसरों को आसानी से चपेट में ले सकता है।
इसके नियंत्रण उपायों में साफ़ हवादार जगहों पर काम करना, कम भीड़, घर में ज्यादा समय बिताना, बाहर निकलने पर मास्क पहनना, मास्क की गुणवत्ता और फिटिंग पर ध्यान तथा संक्रमितों के इलाज के समय हेल्थकेयर कर्मचारियों को उच्च-ग्रेड पीपीई किट देना अनिवार्य घोषित हो।