एक नई स्टडी ने इंसानी गतिविधियों के चलते हुए जलवायु परिवर्तन (Climate change) से हीटवेव संबंधित मौतों में वृद्धि बताई है।
स्टडी ने आने वाले समय में हीटवेव (Heatwaves) से मरने का खतरा गांव-कस्बों की अपेक्षा शहरी लोगों को अधिक पाया है।
यह डराने वाली जानकारी ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दी है।
उन्होंने दो अलग-अलग स्टडीज द्वारा ऑस्ट्रेलिया की हीटवेव से होने वाली मौतों की जांच की थी।
- Advertisement -
पहली स्टडी में, वर्ष 2009 में दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया की भीषण हीटवेव के दौरान मृत्यु दर का विश्लेषण किया गया था।
साथ ही हीटवेव से हुई मौतों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव देखने के लिए दशकों के डेटा की भी जांच हुई।
हीटवेव के दौरान मेलबर्न में 46.4 डिग्री व विक्टोरिया के कुछ हिस्सों में लगातार 12 दिनों तक 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान रहा।
पांच दिनों तक चरम पर रही हीटवेव के दौरान, विक्टोरिया में अनुमानित 374 अतिरिक्त मौतें हुईं थी।
स्टडी में जलवायु परिवर्तन के कारण हीटवेव से संबंधित मृत्यु दर में 20 प्रतिशत की वृद्धि पाई गई।
- Advertisement -
दूसरी स्टडी में, हीटवेव के प्रति अधिक संवेदनशील ऑस्ट्रेलियाई क्षेत्रों का पता लगाने के लिए दो दशकों का डेटा खंगाला गया।
इसमें स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच वाले शहरी निवासियों को हीटवेव संबंधित मौतों का सबसे अधिक खतरा मिला।
अधिक खतरे के पीछे शहरी सड़कों, इमारतों और रेलवे लाइनों जैसी अधिक गर्मी सोखने वाली जगहों को दोषी पाया गया।
नतीजों से यह भी पता चला कि भविष्य में उच्च मृत्यु दर वाली हीटवेव पहले की तुलना में अधिक बार आएंगी।
वैज्ञानिकों ने कहा की अत्यधिक तापमान वाली हीटवेव से इंसानों की मृत्यु दर अधिक होने का अनुमान है।
उन्होंने नए नतीजों से लोगों को हीटवेव के लिए बेहतर तरीके से तैयार होने में मदद मिलने की उम्मीद जताई।
ये नतीजें जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी से संबंधित मौतों में वृद्धि बताने वाली पूर्व सूचनाओं के अनुरूप थे।
मृत्यु दर और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी स्टडी एनवायरनमेंटल रिसर्च क्लाइमेट जर्नल में प्रकाशित हुई थी।
Also Read: बढ़ती गर्मी से युवाओं और बच्चों को अधिक खतरा: रिसर्च