Clean Air and Health: स्वच्छ हवा कई मानसिक रोगों के जोखिम को कम कर सकती है, ऐसा एक नए अध्ययन में देखा गया है।
दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के दो शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि प्रदूषित हवा अल्जाइमर रोग और दिमाग से जुड़े रोजमर्रा के फ़ैसलों में गिरावट का अधिक खतरा पैदा कर सकती है।
ऐसे में, आजीवन मस्तिष्क स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए प्रदूषण रहित साफ़ हवा परम आवश्यक है।
अल्जाइमर एंड डिमेंशिया जर्नल में प्रकाशित एक शोध पत्र में, शोधकर्ताओं ने बताया कि उनके प्रयोगशाला परीक्षणों ने मनुष्यों और चूहों के लंबे समय तक प्रदूषित विषाक्त पदार्थों के संपर्क में रहने पर मस्तिष्क या नर्वस सिस्टम को नुकसान होने के संकेत दिए।
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उनके अनुसार, जहरीले PM2.5 कणों वाली हवा में लंबे समय तक सांस लेने से अकाल मृत्यु हो सकती है। यह खतरा विशेष रूप से पुरानी दिल या फेफड़ों की बीमारियों से ग्रस्त मरीजों में ज्यादा देखने को मिला है।
बता दें कि वाहनों और कारखानों के धुंए से निकलने वाले पीएम2.5 के महीन कण अनेकों मानसिक विकार पैदा करते है। मानव बाल से भी महीन ये अति सूक्ष्म कण, सांस लेने के बाद नाक से होते हुए सीधे मस्तिष्क में घुस जाते है।
एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन के आंकड़ों पर टिकी उनकी शोध में पाया गया कि पीएम2.5 के संपर्क में आने पर बुजुर्गों को एक दशक बाद के अपने स्वास्थ्य की तुलना में सोच-समझ वाले कार्य करने में ज्यादा मुश्किलें पेश आई। हालांकि, उच्च प्रदूषण के संपर्क में गिरावट होने पर उनके दिमागी फ़ैसलों में सुधार के संकेत भी मिले।
शोधकर्ताओं द्वारा चूहों पर किए गए शोध में भी समय के साथ वायु प्रदूषण में कमी आने से जहरीले पदार्थों के कारण हुई न्यूरोटॉक्सिसिटी यानी नर्वस सिस्टम पर होने वाले दुष्प्रभावों को घटते देखा गया।
शोध के निष्कर्ष दिमाग को जल्द बूढ़ा होने से बचाने के लिए वायु गुणवत्ता में सुधार और वायु प्रदूषण नियंत्रित करने के प्रयासों की अति आवश्यकता बताते है।
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