Elevated blood pressure in adolescence: दिल की बीमारियों और असमय मृत्यु को रोकना हो तो किशोरावस्था से ही ब्लड प्रेशर पर कंट्रोल रखें।
ये नसीहत दी है ईस्टर्न फिनलैंड और यूके की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के स्वास्थ्य विज्ञान विशेषज्ञों ने।
उनकी नई स्टडी में किशोरावस्था (Adolescence) का हाई ब्लड प्रेशर दिल को नुकसान पहुंचाते मिला है।
जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित स्टडी ने किशोरों में 130/85 mmHg से अधिक के ब्लड प्रेशर को दिल के लिए हानिकारक पाया है।
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वयस्कों का बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर “साइलेंट किलर” बीमारी के नाम से मशहूर है।
यह तय सीमा लांघने पर किडनी, दिल, नसों और दिमाग को क्षति ग्रस्त कर मृत्यु का कारण बनता है।
यूरोपीय स्वास्थ्य संगठनों ने 130/85 mmHg को हाई ब्लड प्रेशर और 140/90 mmHg को हाइपरटेंशन माना है।
जबकि अमेरिकन स्वास्थ्य संस्थाओं ने 130/80 mmHg के ब्लड प्रेशर को हाइपरटेंशन के रूप में वर्गीकृत किया है।
वर्तमान स्टडी 17 वर्षीय 1,856 किशोरों पर संपन्न हुई थी जिसमें 1,011 लड़कियां थीं।
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उनके 24 साल का होने तक चली स्टडी में ब्लड प्रेशर बढ़ने से दिल को हुए नुकसान की जांच की गई।
7 साल की अवधि के दौरान किशोरों में ब्लड प्रेशर की अधिकता के चलते दिल को असमय ही दोगुनी क्षति जानी गई।
हाई सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन से लड़कों के दिल से जुड़े कार्यों को लगभग 10% से 30% अधिक क्षति पहुंचने का ख़तरा था। लेकिन उनके दिल की संरचना को क्षति (heart structure damage) का कोई डर नहीं था।
इसके विपरीत, लड़कियों में उपरोक्त समस्याओं से दिल की संरचना को लगभग 60% से 217% और दिल से जुड़े कार्यों को 35% से 65% तक नुकसान की बढ़ोतरी थी।
विशेषज्ञों ने युवाओं के दिल पर ब्लड प्रेशर में वृद्धि के दुष्प्रभावों को देखते हुए किशोरावस्था में ही ब्लड प्रेशर जांच ज़रूरी कही।
ऐसा करने से दिल को नुकसान और संभावित समयपूर्व मौत को रोकने की संभावना जताई गई।