लम्बी उम्र चाहते है तो सीमित मात्रा में पौष्टिक भोजन कीजिए और दिमाग में ग्लूकोज के बेहतर स्तर को बनाए रखिये।
हमारा मस्तिष्क ऑक्सीजन का 20% और ग्लूकोज का 25% हिस्सा इस्तेमाल करता है।
इस ग्लूकोज से दिमाग शरीर को एनर्जी देने वाले एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट (एटीपी) का उत्पादन करके ताकतवर बनाए रखता है।
उम्र बढ़ने के साथ ही मस्तिष्क की कोशिकाएं एटीपी उत्पादन करने में कमजोर हो जाती है। ऐसा मोटे तौर पर कम ग्लूकोज मिलने से संबंधित है।
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इसलिए यह सुझाव देना कि अधिक ग्लूकोज के लिए अधिक भोजन करना चाहिए, सही लग सकता है। लेकिन दूसरी ओर सीमित मात्रा में स्वस्थ आहार लेने से भी जीवन लंबा होता है, यह भी प्रसिद्द है।
ज्ञान के इन दो विरोधाभासी तथ्यों के रहस्य को जानने से स्वस्थ और लंबा जीवनकाल कैसे हो, इसके लिए टोक्यो मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने सड़े-गले फलों पर बैठने वाली मक्खियों को लेकर इस समस्या का अध्ययन किया।
ग्लूकोज सुधार से लंबा जीवन संभव
सबसे पहले, उन्होंने पुष्टि की कि बूढी मक्खियों के मस्तिष्क की कोशिकाएं में एटीपी और ग्लूकोज का निम्न स्तर हो।
इसके लिए, उन्होंने मक्खियों को आनुवंशिक रूप से संशोधित करके ग्लूकोज-ट्रांसपोर्टिंग प्रोटीन का अधिक उत्पादन किया।
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आश्चर्यजनक रूप से, ग्लूकोज में वृद्धि होते ही कोशिकाओं में मौजूद एटीपी की मात्रा में सुधार होने लगा। इससे बढ़ती उम्र रोकने वाले एंजाइमों के उत्पादन में थोड़ी कम गिरावट हुई।
इसके बाद टीम ने आगे के प्रभाव देखने के लिए ज्यादा ग्लूकोज वाली मक्खियों के खाने को सीमित कर दिया। इससे मक्खियों का जीवनकाल भी बढ़ गया।
मजे की बात है कि बढ़े हुए ग्लूकोज ने मस्तिष्क की कोशिकाओं में मौजूद ग्लूकोज के स्तर में सुधार नहीं किया।
परिणाम बताते है कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि हमारे शरीर में कितना ग्लूकोज मौजूद है, बल्कि मस्तिष्क के लिए आवश्यक ऊर्जा बनाने के लिए कोशिकाओं ने इसे कितनी कुशलता से इस्तेमाल किया।
हालांकि कई प्रजातियों में आहार को कम करने के एंटी-एजिंग लाभ देखे गए है, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना था कि सीमित मात्रा में आहार लेने को शरीर द्वारा बेहतर तरीके से ग्लूकोज इस्तेमाल करने के साथ जोड़ने से लंबा जीवनकाल पाना संभव है।
हम अपने दिमाग को अधिक समय तक स्वस्थ कैसे रख सकते है, इसके लिए अध्ययन किया जाना बाकी है।
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