Sweeteners effect on offspring: गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान मीठा खाने से शिशु को मोटापे (Obesity) का खतरा हो सकता है, ये कहना है एक नई स्टडी का।
यही नहीं, मीठे से बच्चे की आंत में मौजूद माइक्रोबायोम पर भी बुरा असर पड़ता है और उनकी आबादी में बदलाव आ सकता है।
कृत्रिम मिठास यानी आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial sweeteners) से गर्भवती महिलाओं के शिशुओं को होने वाले नुकसान बताती यह स्टडी कनाडा के विशेषज्ञों ने की है।
उनकी यह जानकारी चूहों में हुए एक प्रयोग पर आधारित बताई गई है, जिसमें प्रेग्नेंट चुहियों को स्टीविया (Stevia) या एस्पार्टेम (Aspartame) जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर खिलने से उनकी संतानों में मोटापे का खतरा अधिक पाया गया था। साथ ही, उनके आंत माइक्रोबायोम में भी विशिष्ट परिवर्तन दर्ज किए गए।
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स्टडी के नतीजे बताते है कि गर्भावस्था के दौरान मातृ आहार बच्चों में मोटापे के जोखिम को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।
फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन में प्रकाशित नतीजे गर्भावस्था के दौरान मातृ पोषण के महत्व को उजागर करते है।
वर्तमान में चीनी की जगह कम कैलोरी वाले आर्टिफिशियल स्वीटनर का उपयोग प्रचलन में है, लेकिन गर्भावस्था में ऐसे स्वीटनर लेने से कुछ अप्रत्याशित प्रभाव हो सकते है।
ऐसे में विशेषज्ञों ने गर्भावस्था के आहार को संतान के स्वास्थ्य और बीमारियों के निर्धारण में अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
नतीजों में शोधकर्ताओं ने एस्पार्टेम और स्टीविया खाने वाली गर्भवती चुहियों के नवजात का वजन और आंत माइक्रोबायोम की जांच की।
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देखा गया कि उनका वजन और शरीर का फैट बहुत अधिक था। यही नहीं, आंत के बैक्टीरिया में भी रोगजनक परिवर्तन दिखाई दिए।
हालांकि, मां बनी चुहियों में स्वीटनर का दुष्प्रभाव संतान के मुकाबले कम दर्ज किया गया।
भले ही यह अध्ययन सीधे तौर पर चूहों में हुआ था, लेकिन विशेषज्ञों ने गर्भावस्था के दौरान ज्यादा मीठा खाने और शिशु के उच्च बॉडी मास इंडेक्स के बीच एक सीधा संबंध माना।
भविष्य के शोध इस विषय में स्पष्ट गाइडेंस दे सकते है, लेकिन अभी के लिए गर्भवती होने पर मीठे से दूर रहना ही उचित बताया गया है।
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