आर्टिफिशियल स्वीटनर्स (Artificial sweeteners) के अधिक इस्तेमाल से दिल की बीमारियां (Cardiovascular diseases) विकसित होने का ख़तरा बढ़ता है, ऐसा एक फ्रेंच स्टडी का अनुमान है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित नतीजों की मानें तो लाखों लोगों द्वारा प्रतिदिन सेवन किए जाने वाले और हजारों खाद्य एवं पेय पदार्थों में मौजूद आर्टिफिशियल स्वीटनर्स को चीनी (Sugar) का स्वस्थ और सुरक्षित विकल्प नहीं माना जा सकता।
स्टडी विशेषज्ञों ने सुरक्षित समझे जाने वाले आर्टिफिशियल स्वीटनर्स की अधिकता से दिल के दौरे और स्ट्रोक सहित कार्डियोवैस्कुलर रोगों के जोखिम में वृद्धि होने की संभावना जताई।
बता दें कि आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का व्यापक रूप से बिना चीनी या कम कैलोरी विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है।
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कई रिसर्च ने आर्टिफिशियल स्वीटनर्स से तैयार खाने-पीने की चीज़ों को वजन बढ़ाने, हाई ब्लड प्रेशर और सूजन से संबंधित भी पाया था।
हालांकि, कार्डियोवैस्कुलर रोगों सहित विभिन्न बीमारियों में आर्टिफिशियल स्वीटनर्स की भूमिका स्पष्ट नहीं मिली थी।
एक लाख से अधिक फ्रांसीसी पुरुषों और महिलाओं के पोषण और स्वास्थ्य जांच विश्लेषण ने एस्पार्टेम (Aspartame), इस्सेल्फ़ेम पोटेशियम (Acesulfame potassium), और सुक्रालोज़ (Sucralose) जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर्स को दिल के लिए हानिकारक बताया।
उपरोक्त स्वीटनर्स का सेवन करने वाले इंसानों में कम और अधिक सेवन की मात्रा क्रमशः 7.46 और 77.62 मिलीग्राम / दिन पाई गई। युवा उपभोक्ताओं में स्वीटनर्स की खपत अधिक थी।
नौ वर्षों की स्टडी के दौरान, टीम ने 15 सौ के लगभग दिल के दौरे, एनजाइना, एंजियोप्लास्टी, मिनीस्ट्रोक और स्ट्रोक जैसी घटनाएं दर्ज की।
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उन्होंने कुल स्वीटनर्स सेवन को कार्डियोवैस्कुलर बीमारी के बढ़ते जोखिम से जुड़ा पाया। यह ज़्यादा लेने वालों में 346 प्रति 100,000 व्यक्ति वर्ष और न लेने वालों में 314 प्रति 100,000 व्यक्ति वर्ष तक का अनुमान था।
एस्पार्टेम का सेवन सेरेब्रोवास्कुलर रोग के बढ़ते जोखिम (Cerebrovascular disease risk) से जुड़ा था, जबकि इस्सेल्फ़ेम पोटेशियम और सुक्रालोज़ बढ़े हुए कोरोनरी हृदय रोग जोखिम (Coronary heart disease risk) से जुड़े थे।
भले ही अभी और स्टडीज़ की संभावना कही गई हो लेकिन इतना तय रहा कि चीनी की जगह आर्टिफिशियल स्वीटनर्स लेने से दिल के स्वास्थ्य को कोई फ़ायदा नहीं होने वाला।
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