Antidepressants side effects: डॉक्टरों को एंटीडिप्रेसेंट दवाएं कम समय के लिए ही मरीजों को देनी चाहिए, ये सुझाव दिया है एक नई स्टडी ने।
एंटीडिप्रेसेंट (Antidepressants) इस्तेमाल से जुड़े परिणामों की समीक्षा में, मरीजों को नई श्रेणी की दवाइयां देने से पहले उनके असर की अनिश्चितताओं और साइड इफेक्ट्स के प्रति सावधान रहना की आवश्यकता कही गई है।
बता दें कि एंटीडिप्रेसेंट दवाएं डिप्रेशन, चिंता, कुछ पुराने दर्द और नशों की लत रोकने में मदद करती है।
इनके व्यापक होते स्तर पर चिंता जताते हुए यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के खोजकर्ताओं ने सीमित समय के लिए इन दवाओं के उपयोग की जरूरत बताई है।
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उनका मानना है कि वयस्कों में एंटीडिप्रेसेंट की प्रभावशीलता के अधिकांश प्रमाण केवल 6 से 12 सप्ताह तक चले नकली उपचार वाले परीक्षणों से आते है, जो लंबे इलाज के लिए उनके सेवन पर सवाल खड़ा करते है।
किशोरों और बच्चों में इनके निष्कर्ष और भी कम आश्वस्त करने वाले है।
इसके अलावा, दिन के समय नींद आना, मुंह सूखना, अत्यधिक पसीना या वजन बढ़ना, बेचैनी, मांसपेशियों में ऐंठन या मरोड़, मतली, कब्ज, दस्त या चक्कर आना जैसे साइड इफेक्ट भी आम हो चले है।
तीन साल से अधिक समय तक एंटीडिप्रेसेंट लेने वालों में तो साइड इफेक्ट की व्यापकता और भी अधिक हो सकती है। ऐसे में, इन्हें छोड़ने की कोशिश करने वाले मरीज अक्सर अनेकों समस्याओं से ग्रसित हो जाते है।
विशेषज्ञों का कहना है कि धीरे-धीरे इन दवाओं की खुराक घटाने से रोगियों को सामान्य होने में मदद मिल सकती है।
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साथ ही, मरीजों के अलावा डॉक्टरों को भी कम समय के लिए इनके उपयोग की सलाह और संभावित खतरों के प्रति सजग रहने की जरूरत है।
इस बारे में और जानकारी ड्रग एंड थेरेप्यूटिक्स बुलेटिन में ऑनलाइन प्रकाशित रिपोर्ट से मिल सकती है।
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