Antibiotics and colorectal cancer: एक रिसर्च का दावा है कि बैक्टीरिया संक्रमण को रोकने वाली एंटीबायोटिक दवाएं आंत के माइक्रोबायोम को नुकसान पहुंचाती है।
यही नहीं, रिसर्च विशेषज्ञों ने एंटीबायोटिक दवाएं खाने और पेट के कैंसर के बढ़ते खतरे के बीच एक स्पष्ट संबंध भी खोजा है।
स्वीडन स्थित उमेआ विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने 40,000 कैंसर मामलों की जांच के बाद इस खतरे की पुष्टि की है।
माना गया है कि आंतों के लाभकारी अति सूक्ष्म जीवाणुओं पर एंटीबायोटिक दवाओं का दुष्प्रभाव कैंसर के बढ़ते जोखिम के पीछे एक वजह हो सकता है।
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हालांकि, कई मामलों में एंटीबायोटिक को जीवन रक्षक माना जाता है, तो भी विशेषज्ञों ने कम गंभीर बीमारियों में इन दवाओं को न लेने की सलाह दी है।
अपनी खोज में विशेषज्ञ दल ने पाया कि जिन महिलाओं और पुरुषों ने छह महीने से अधिक समय तक एंटीबायोटिक्स लीं, उनमें कैंसर विकसित होने का खतरा 17 प्रतिशत अधिक था।
यह खतरा विशेषकर कोलन के शुरुआती हिस्से में ज्यादा था, जहां भोजन छोटी आंत पार करके पहुंचता है। हालांकि, कोलन के खत्म होते हिस्से में कैंसर का जोखिम नहीं पाया गया।
रिसर्च के नतीजों में एंटीबायोटिक्स लेने के पांच से दस साल बाद ही पेट का कैंसर बढ़ने की बात कही गई है।
अधिक एंटीबायोटिक्स लेने वालों में इसकी गुंजाइश प्रबल थी। लेकिन यह भी संभव था कि एंटीबायोटिक दवाओं के एक ही कोर्स के बाद कैंसर के खतरे में एक मामूली, लेकिन सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण वृद्धि हो जाए।
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वर्तमान रिसर्च में साल 2010-2016 की अवधि से स्वीडिश कोलोरेक्टल कैंसर रजिस्ट्री के 40,000 रोगियों का डाटा इस्तेमाल किया गया है। इस डाटा की तुलना दो लाख कैंसर-मुक्त स्वीडिश जनसंख्या से करने के बाद ही नतीजे जारी किए गए।
हालांकि, रिसर्च में केवल खाने वाली एंटीबायोटिक्स ही शामिल थी, लेकिन इंजेक्शन से ली गई एंटीबायोटिक्स भी आंत माइक्रोबायोटा को प्रभावित करने में सक्षम बताई गई है।
इस बारे में नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट की पत्रिका में विस्तार से पढ़ा जा सकता है।
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