Covid-19 effects: एक नए अध्ययन में कोरोना से रिकवर होने वाले मरीजों को मानसिक विकारों का अधिक जोखिम बताया गया है।
यह खतरा संक्रमण के एक साल बाद तक चिंता, डिप्रेशन, नशे की लत और नींद संबंधी विकारों जैसे हेल्थ डिसऑर्डर से जुड़ा हो सकता है।
निष्कर्ष के लिए अमेरिका की सेंट लुइस यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने मार्च 2020 और जनवरी 2021 के बीच पीसीआर टेस्ट से कोरोना पॉजिटिव पाए गए 63 वर्षीय बुजुर्गों के हेल्थ रिकॉर्ड की जांच की थी।
इनमें कोरोना से ठीक हो चुके ज्यादातर पुरुष अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त थे।
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विशेषज्ञ टीम ने 153,848 व्यक्तियों के रिकॉर्ड को बिना COVID-19 वाले दो समूहों से मिलान किया।
पता चला कि संक्रमण की तीव्र लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों में गैर-संक्रमित इंसानों की अपेक्षा एक वर्ष में किसी भी मानसिक स्वास्थ्य विकार से पीड़ित होने का जोखिम 60 फीसदी अधिक था।
यह जोखिम 1000 संक्रमितों में से 24 को नींद से, 15 को डिप्रेशन, 11 को दिमागी कार्यों में गिरावट और 4 को नशे की लत से जुड़ा हुआ था।
हैरानी की बात थी कि कोरोना की प्रचंड लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती गंभीर संक्रमितों और हल्के लक्षण वालों दोनों को ही मानसिक विकारों से पीड़ित रहने का खतरा अधिक था।
मौसमी इन्फ्लूएंजा वाले लोगों की तुलना में भी COVID-19 संक्रमितों को मानसिक स्वास्थ्य विकारों का खतरा अधिक था।
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यहां तक कि किसी अन्य कारण से अस्पताल में भर्ती लोगों की तुलना में कोरोना से संक्रमित हुए अस्पताल में भर्ती मरीजों में मानसिक स्वास्थ्य विकारों का जोखिम बढ़ा हुआ मिला।
हालांकि, स्टडी में यह भी कहा गया है कि क्योंकि हेल्थ रिकॉर्ड वृद्ध पुरुषों का था तो इसके नतीजे अन्य लोगों पर लागू नहीं होते। इसके अलावा, स्टडी में कुछ गलतियां भी हो सकती है।
फिर भी ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित नतीजे कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों को मानसिक स्वास्थ्य विकारों का बढ़ा हुआ खतरा बताते है।