वैसे तो हमारे शरीर पर शराब से होने वाले हानिकारक प्रभावों के बहुत से सबूत है लेकिन अब विशेषज्ञों ने जीवन में तीन प्रमुख समयावधि बताई हैं जब ये प्रभाव दिमाग पर भी सबसे ज्यादा होते है।
BMJ जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च में, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने चेतावनी देते हुए कहा है कि गर्भधारण (गर्भाधान से जन्म तक), किशोरावस्था (15-19 वर्ष) और बुढ़ापे में (65 वर्ष से अधिक) शराब के दिमागी सेहत पर विशेष हानिकारक प्रभाव हो सकते है।
शराब कई मानसिक क्षमताओं को कमजोर करती है
पूरे विश्व में लगभग 10% गर्भवती महिलाएं शराब का सेवन करती है और यह दर अन्य देशों के मुकाबले यूरोपीय देशों में काफी अधिक है।
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गर्भावस्था के दौरान भारी शराब का उपयोग भ्रूण के मस्तिष्क और उसकी समझ-बूझ के विकास में कमी से जुड़ा हुआ है। लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान कम या मध्यम शराब पीना भी होने वाली संतान के खराब मनोवैज्ञानिक और व्यवहार संबंधी परिणामों से जुड़ा हुआ है।
किशोरावस्था में यूरोप और अन्य उच्च आय वाले देशों में 19-20 वर्ष के 20% से अधिक युवा कभी-कभी शराब जरूर पीते है।
अध्ययनों से पता चलता है कि किशोरावस्था में शराब पीने से कम मस्तिष्क विकास, खराब वाइट मैटर (जो कुशल मस्तिष्क कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है), और छोटे से मध्यम तरह की कई मानसिक क्षमताओं से जुड़ा हुआ है।
बुजुर्गों में अल्कोहल के उपयोग को शुरुआती याददाश्त में कमी के लिए हाई ब्लड प्रेशर और स्मोकिंग के मुकाबले सबसे मजबूत जोखिम कारकों में से एक बताया गया।
मॉडरेट ड्रिंकिंग से भी है नुकसान
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हालांकि, बुजुर्गों में शराब पीने से होने वाले विकार अपेक्षाकृत कम होते है, शोधकर्ता बताते है कि मॉडरेट ड्रिंकिंग (महिलाओं के लिए प्रतिदिन 1 और पुरुषों के लिए प्रतिदिन 2 पैग) से भी अधेड़ अवस्था में दिमाग के छोटे लेकिन महत्वपूर्ण नुकसान होते है।
जनसंख्या रुझान से ज्यादा लोगों के मस्तिष्क की सेहत पर शराब पीने से होने वाले बढ़ते प्रभावों का पता चलता है।
महिलाएं भी अब पुरुषों के समान ही शराब पीती है और शराब से संबंधित नुकसान का अनुभव करती है। यहाँ तक कि शराब की वैश्विक खपत अगले दशक में और बढ़ने का अनुमान है।
COVID-19 महामारी के प्रभाव शराब पीने और इससे संबंधित नुकसान पर स्पष्ट नही है, लेकिन लम्बे समय तक शराब पीने से अन्य प्रमुख बीमारियां जरूर बढ़ जाती है, ऐसा शोध में निष्कर्ष निकला।