यातायात के साधनों से निकलने वाला दूषित धुआं (Air Pollution) हवा में घुलकर दिमाग को जल्दी बूढ़ा कर देता है, ऐसा जानवरों पर हुई एक रिसर्च से पता चला है।
रिसर्च में शामिल अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय विशेषज्ञों के अनुसार, इसका बुरा असर दिमागी विकार को बढ़ाता है, जिसमें भूलने की बीमारी और दिमाग कमजोर करने से जुड़ा अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s Disease) भी शामिल है।
आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में तेजी से बढ़ती इस बीमारी से साल 2050 तक पीड़ितों की संख्या तिगुनी होने का अनुमान है।
परिवहन संबंधित वायु प्रदूषण के प्रभावों को वास्तविक समय में जानने के लिए विशेषज्ञों ने कुछ चूहों को एक बड़े पिंजरे में ट्रैफिक से भरी रहने वाली एक सुरंग के पास 14 महीने तक रखा ताकि वो प्रदूषित हवा के संपर्क में रह सकें।
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उन्होंने देखा कि यातायात प्रदूषण ने सभी जानवरों के दिमाग को प्रभावित किया और उनमें अल्जाइमर रोग के लक्षणों को तेज कर दिया।
विशेषज्ञों के लिए यह देखना महत्वपूर्ण रहा क्योंकि ट्रैफिक प्रदूषण आज के दौर में लगभग हर जगह है। इससे पता चलता है कि क्यों दुनिया भर में अल्जाइमर रोग से प्रभावितों की संख्या बढ़ रही है।
हालांकि, प्रदूषण में शामिल कौन सा घटक दिमाग पर मुख्य रूप से ऐसा दुष्प्रभाव डाल रहा था, यह उनके लिए भी अज्ञात रहा।
ऐसे ट्रैफिक से होने वाले वायु प्रदूषण में विभिन्न गैस, पार्टिकुलेट मैटर, धूल-मिट्टी, कंपन, शोर आदि शामिल थे।
इसलिए विशेषज्ञ अब अल्जाइमर रोग लक्षणों को विकसित करने वाले यातायात से जुड़े वायु प्रदूषण के विशिष्ट घटकों को अलग करने में उत्सुक थे।
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उनके अनुसार, रिसर्च वाली जगह पर प्रदूषण करने वाले महीन कण (पीएम 2.5) तय सीमा से नीचे थे, लेकिन जानवरों के दिमाग में अति महीन कण सबसे ज्यादा पाए गए।
दुर्भाग्यवश, ऐसे प्रदूषकों की कोई सीमा तय नहीं थी।
अध्ययन से इस धारणा की पुष्टि हुई कि यातायात प्रदूषण वाली हवा दिमागी बीमारियों की प्रगति को तेज कर सकती है। इसलिए, ऐसी बीमारियों की शुरुआत और प्रगति में योगदान करने वाले कारणों की पहचान करने की तत्काल आवश्यकता है।