घर के आस-पास ज्यादा वायु प्रदूषण (air pollution) दिल की बीमारी होने के खतरे को बढ़ा सकता है, ऐसा एक नए अध्ययन में देखा गया है।
मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल (MGH) के जांचकर्ताओं के नेतृत्व में हुए इस नए शोध से पता चलता है कि वायु प्रदूषण के सूक्ष्म कण बोन मैरो में इंफ्लेमेटरी कोशिकाएं बनाने को सक्रिय करके हृदय स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालते है, जो अंततः धमनियों में जलन कर देता है।
अधिकांश आबादी में वायु प्रदूषण की स्थिति देखने के बाद शोधकर्ताओं का कहना था कि वास्तव में वायु प्रदूषण का कोई भी स्तर इंसान के लिए सुरक्षित नहीं माना जा सकता है।
इस तथ्य की पुष्टि के लिए बिना हृदय रोग (cardiovascular disease) या कैंसर (cancer) से पीड़ित 503 मरीजों को देखा गया।
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वैज्ञानिकों ने प्रतिभागियों में प्रदूषण वाले अति सूक्ष्म कणों के वार्षिक औसत स्तर का अनुमान लगाने के लिए उनके आवास के सबसे नजदीक स्थित अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के वायु गुणवत्ता मॉनिटर से आंकड़े लिए।
प्रतिभागियों ने किया दिल के दौरे और स्ट्रोक का अनुभव
4.1 साल तक प्रतिभागियों की निगरानी करने पर 40 ने प्रमुख हृदय संबंधी विकारों जैसे दिल का दौरा और स्ट्रोक का अनुभव किया।
सबसे अधिक जोखिम उन लोगों में देखा गया जिनके घर के पास अति सूक्ष्म कणों का उच्च स्तर मिला। हृदय जोखिम बढ़ाने वाले अन्य कारकों को जांचने के बाद भी उनका जोखिम कम नहीं हुआ।
अन्य दुष्प्रभावों को देखने के लिए आंतरिक अंगों की स्थिति का आकलन करने वाला इमेजिंग टेस्ट किया गया।
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इससे पता चला कि इन प्रतिभागियों में बोन मैरो की गतिविधि भी ज्यादा थी, जो बढ़े हुए ल्यूकोपोइसिस (leukopoiesis) और आर्टरीज में सूजन का संकेत थी।
अतिरिक्त विश्लेषणों से पता चला कि ल्यूकोपोइसिस का कारण वायु प्रदूषण था जिससे आर्टरीज में सूजन आई थी।
यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित ये निष्कर्ष हृदय रोग के खतरे को बढ़ाने में अभी तक कम आंके गए वायु प्रदूषण की गंभीरता को साबित करने में सक्षम थे।
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