अभी तक वायु प्रदूषण से फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा सबसे ज्यादा था लेकिन अब इससे अंधेपन की समस्या होने का भी पता चला है।
ब्रिटिश जर्नल ऑफ़ ओफ्थल्मोलॉजी में प्रकाशित एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि बढ़ते वायु प्रदूषण से आंखों को गंभीर नुकसान होता है जिसकी वजह से एज-रिलेटेड मैक्युलर डिजेनेरेशन (age-related macular degeneration – AMD) बीमारी बढ़ सकती है।
इसमें रेटिना को नुकसान पहुंचता है और व्यक्ति को अंधेपन की समस्या आ सकती है।
गौएरतलब है कि अभी तक इस बीमारी के प्रमुख जोखिम कारकों में बढ़ती उम्र, धूम्रपान और आनुवांशिक कारण ही शामिल थे।
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एज-रिलेटेड मैक्युलर डिजेनेरेशन, जिसे एएमडी भी कहते है, 50 से अधिक आयु के लोगों में अपरिवर्तनीय अंधेपन का प्रमुख कारण है, यानि अंधेपन को बदला या सही नहीं किया जा सकता।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इससे प्रभावित लोगों की संख्या साल 2040 तक 300 मिलियन पहुंचने का अनुमान है।
वायु प्रदूषण कैसे इस बीमारी को बढ़ा सकता है यह देखने के लिए यूके के शोधकर्ताओं ने कुछ सालों के लिए अलग-अलग जगहों पर रहने वाले 40 से 69 वर्ष के 1,15,954 लोगों का अध्ययन किया।
भाग लेने वालों को डॉक्टर से एएमडी और रेटिना संरचना में परिवर्तन का पता लगवाकर शोधकर्ताओं को बताने के लिए कहा गया।
52,602 लोगों की आंखे चेक करने पर उनमे से 75 फीसदी ऐसे निकले जिनकी रेटिना इमेजिंग पर एएमडी के संकेत थे। यह ऐसी ऐसी स्थिति होती है जिसमें मैक्युला (आंख में रेटिना का केंद्रीय क्षेत्र) बदल जाता है, जिसके परिणामस्वरूप दिखाई नहीं देता।
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डेटा के विश्लेषण से पता चला कि ज्यादा बारीक़ प्रदूषित कणों (PM2.5) के संपर्क में आने पर एएमडी बीमारी होने का खतरा 8 फीसदी तक बढ़ जाता है।
जबकि मोटे प्रदूषित कणों को छोड़कर अन्य सभी प्रदूषक आंखों की रेटिना के संरचना में परिवर्तन कर सकते थे।
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