बढ़ते वायु प्रदूषण (Air Pollution) से विकसित और विकासशील देशों की आबादी के जीवन पर गहन संकट मंडरा रहा है।
बात करें भारत (India) की तो एक हालिया स्टडी ने देश की दूषित हवा को नागरिकों की सेहत (Health) के लिए घातक बताया है।
स्टडी में दूषित हवा से नवजात शिशु से लेकर बड़ों तक की जल्द मौत के खतरा में वृद्धि मिली है।
नतीजों ने विभिन्न भारतीय जिलों में वायु प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानकों से अधिक होने का दावा किया है।
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इससे नवजात शिशुओं को 86%, पाँच वर्ष से कम के बच्चों को 100-120% और बड़ों को 13% मौत का जोखिम बढ़ा है।
स्टडी में भारत, ऑस्ट्रिया और ऑस्ट्रेलिया के खोजकर्ताओं ने 700 से अधिक जिलों में PM2.5 प्रदूषण स्तर का विश्लेषण किया था।
टीम ने PM2.5 स्तर एवं घरेलू वायु प्रदूषण में तेजी देखते हुए नवजात शिशुओं और वयस्कों की मृत्यु दर में काफी वृद्धि जानी।
डराने वाली बात थी कि नवजात शिशुओं तथा पाँच वर्ष से कम के बच्चों को घरेलू वायु प्रदूषण से क्रमशः लगभग दुगुना और अधिक खतरा था।
यह खतरा खासकर भारत के उन जिलों में अधिक देखा गया जहाँ PM2.5 का वायु गुणवत्ता मानक स्तर 40 μg/m3 तक था।
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गौरतलब है कि आमतौर पर भारत के मैदानी इलाकों में Pm2.5 के छोटे प्रदूषक कणों का स्तर अधिक होता है।
ये फसल अवशेषों को जलाने, औद्योगिक इकाइयों और भवन-सड़क निर्माण कार्यों के हानिकारक उत्सर्जन से जुड़े है।
गरीब क्षेत्रों या आबादी के घरों में अलग रसोई ना होने से भी वायु प्रदूषण के स्तर में काफी अधिकता मिली है।
इस स्थिति से उन घरों के नवजात शिशुओं और बड़ों की मृत्यु दर में इजाफ़े की संभावना देखी गई है।
निष्कर्षों में, मानव स्वास्थ्य और मृत्यु दर पर वातावरण और घरेलू वायु प्रदूषण के पुख्ता हानिकारक प्रभाव मिले है।
खोजकर्ताओं ने बीमारी और मृत्यु दर में कमी के लिए मानवजनित PM2.5 उत्सर्जन घटाने पर जोर दिया है।
इस बारे में और जानकारी जियोहेल्थ पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट से मिल सकती है।
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