गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान वायु प्रदूषण (Air Pollution) के संपर्क में आने से नवजात शिशु में मोटापे (Obesity) का खतरा बढ़ सकता है, ऐसा एक रिसर्च से सामने आया है।
रिसर्च करने वाले अमेरिका के कोलोराडो विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की मानें तो उच्च वायु प्रदूषण (High Air Pollutants) के संपर्क में आने वाली गर्भवती महिलाओं के बच्चे जन्म के बाद पहले कुछ महीनों में असामान्य तेजी से बढ़ते है।
ऐसे में उनके शरीर पर अतिरिक्त चर्बी (Extra Fat) जमा होने से मोटापे और संबंधित बीमारियों का खतरा हो सकता है।
एनवायरनमेंटल हेल्थ पत्रिका में छपी यह रिसर्च इस बात पर जोर देती है कि प्रदूषित हवा मोटापे की बीमारी को बढ़ा सकती है, खासकर ज्यादा जहरीले प्रदूषकों वाली जगहों पर रहने वालों में।
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विशेषज्ञों ने समाज के कुछ तबकों में मोटापे की उच्च दर केवल खान-पान या एक्सरसाइज से ही नहीं, बल्कि पर्यावरण से भी जुड़ी बताई।
रिसर्च में देखा गया कि प्रदूषकों के संपर्क में आने से शिशुओं का वजन असामान्य तेजी से बढ़ा।
प्रारंभिक जीवन में ही तेजी से वजन बढ़ने को बचपन और किशोरावस्था में वजन की समस्याओं सहित डायबिटीज तथा हृदय रोग से भी जोड़ा गया है।
गर्भावस्था के दौरान या जन्म के तुरंत बाद शिशु के विकास का समय होता है। ऐसे में प्रतिकूल प्रभाव बाद के जीवन में कई समस्याओं का खतरा ला सकता है, ऐसी आशंका विशेषज्ञों ने जताई।
रिसर्च में पीएम2.5 और पीएम10, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओजोन जैसे प्रदूषकों के स्तर का शिशुओं और उनकी माताओं पर असर देखा गया।
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पता चला कि जन्म के पूर्व प्रदूषित माहौल में रहना, पहले छह महीनों में वजन और चर्बी या मोटापे में अधिक परिवर्तन से जुड़ा था।
दिलचस्प बात यह थी कि कुछ मामलों में प्रदूषक पुरुषों और महिलाओं को अलग तरह से प्रभावित करते थे।
उदाहरण के लिए, गर्भाशय में ओजोन और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के संपर्क में आना, महिलाओं में कमर के आसपास तेजी से वृद्धि और पुरुषों में लंबाई में धीमी वृद्धि एवं पेट के आसपास अधिक चर्बी जमा होने से जुड़ा था।
यह भी पता चला कि भ्रूण के विकास पर दुष्प्रभाव डालने के अलावा, प्रदूषक उनके जीन को भी प्रभावित करते है। ऐसे प्रभाव संभावित रूप से उनकी आने वाली पीढ़ियों तक पहुंच सकते है।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना था कि ऐसे खतरनाक असर अन्य देशों की आबादी पर भी लागू होते है या नहीं, इसकी पुष्टि करने के लिए एक बड़े परीक्षण की आवश्यकता है।
फिर भी उन्होंने गर्भवती महिलाओं को वायु प्रदूषण के जोखिम को कम करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी।
इनमें हाई ओजोन दिनों में खिड़कियां बंद रखना, अधिक वायु प्रदूषण के समय बाहर एक्सरसाइज नहीं करना और व्यस्त सड़क मार्गों के आसपास किसी तरह की गतिविधियों से दूर रहना प्रमुख बताया गया।
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