पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर वायु प्रदूषण (Air pollution) का अधिक प्रभाव पड़ता है, ये कहना है एक नई स्टडी का।
स्पेन के बार्सिलोना में यूरोपियन रेस्पिरेटरी सोसाइटी इंटरनेशनल कांग्रेस में पेश हुई स्टडी ने, डीजल के धुंए (Diesel exhaust) को पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं के लिए अधिक हानिकारक बताया है।
महिलाओं और पुरुषों दोनों के ख़ून मे डीजल के धुंए में रहने के बाद सूजन, संक्रमण और हृदय रोग से संबंधित परिवर्तन पाए गए।
ताज्जुब की बात थी कि पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं के ख़ून में स्वास्थ्य संबंधी अधिक नकारात्मक परिवर्तन मिले।
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वायु प्रदूषण में, विशेषकर डीजल निकास को अस्थमा (Asthma) और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic obstructive pulmonary disease) जैसी बीमारियों का एक प्रमुख जोखिम कारक माना गया है।
ज़्यादा जानकारी के लिए खोजकर्ताओं ने पांच स्वस्थ महिलाओं और पांच पुरुषों को चार घंटे क्रमश: फ़िल्टर्ड और डीजल के धुएं वाली हवा में सांस लेने के लिए चुना।
इस दौरान वो 20, 50 और 150 माइक्रोग्राम फाइन पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) प्रति क्यूबिक मीटर के वायु प्रदूषण में रहे।
लिक्विड क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोमेट्री (LC-MS) तकनीक का उपयोग करते हुए खोजकर्ताओं ने उनके ब्लड प्लाज़्मा की जांच की।
डीजल निकास के संपर्क में आने के बाद पुरुषों और महिलाओं के प्लाज़्मा में 90 प्रोटीनों का स्तर स्पष्ट रूप से भिन्न था।
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कई बीमारियों और इम्यून सिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ये प्रोटीन, पुरुषों की तुलना में महिलाओं के शरीर को ज़्यादा प्रभावित करते पाए गए।
इनसे स्पष्ट संकेत था कि दूषित हवा पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए अधिक खतरनाक हो सकती है।
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