Air pollution increases COVID-19 risk: जहरीली हवा से भरे शहरों में रहने वाले कोरोना संक्रमित होने पर गंभीर रूप से बीमार हो सकते है, ये कहना है एक हालिया स्टडी का।
बार्सिलोना इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ताओं ने लगभग नौ हजार से ज्यादा इंसानों के संक्रमण संबंधी आंकड़े जुटाकर इस खतरे से आगाह किया है।
स्पेन के कैटालोनिया क्षेत्र से लिए कोरोना संक्रमित और बिना लक्षणों वालों के ये आंकड़े जून और नवंबर 2020 के बीच इकठ्ठा किए बताए गए है।
शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि अति महीन कणों (PM2.5) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) के उच्च स्तर वाले क्षेत्रों के निवासियों में COVID-19 के गंभीर मामले होने की संभावना 50 प्रतिशत तक अधिक थी।
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बता दें कि PM2.5 और NO2 जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) को जलाने से उत्पन्न प्रदूषक है। हवा जहरीली करने वाले ये प्रदूषक यातायात और बिजली उत्पादन में इस्तेमाल कोयले के धुएं से निकलते है और कई तरह की बीमारियां विकसित करते है।
इंस्टिट्यूट के विशेषज्ञों ने वायु प्रदूषण से COVID-19 संक्रमितों की सेहत बेहद खराब करने वाले इस लिंक को अभी तक का ‘सबसे मजबूत सबूत’ बताया है।
पुष्टि किए गए 481 कोरोना मामलों में, PM2.5 और NO2 के उच्च स्तर वाले क्षेत्रों के निवासियों को वायरस संक्रमण से अस्पताल या आईसीयू में भर्ती होने जैसी अधिक गंभीर स्थिति थी।
ऐसा खतरा विशेष रूप से 60 से अधिक उम्र के पुरुषों और स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित क्षेत्रों में रहने वालों को ज्यादा था।
इसके अलावा, एंटीबॉडी मापने के लिए लोगों के 4,000 से अधिक रक्त के नमूने भी एकत्र किए गए थे।
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पता चला कि ज्यादा प्रदूषित क्षेत्रों के निवासियों में उच्च एंटीबॉडी स्तर होने की संभावना अधिक थी। शोधकर्ताओं के मुताबिक, ऐसा इन लोगों में अधिक गंभीर संक्रमण होने से हुआ होगा।
जर्नल एनवायर्नमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स में प्रकाशित परिणामों को वातावरण में फैले वायु प्रदूषण का कोरोना से जुड़ाव में विश्व स्तर पर सबसे मजबूत सबूत माना गया हैं। ये परिणाम अन्य रेस्पिरेटरी वायरस से ग्रस्त होने के पीछे भी यही कारण बताते है।
ऐसा माना जाता है कि वायु प्रदूषण के उच्च स्तर से लोगों में हृदय, श्वसन या अन्य गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों के विकसित होने की अधिक संभावना हो सकती है, जिससे वो एक गंभीर कोरोना संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो जाते है।
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