Air pollution causes lung cancer: वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने वायु प्रदूषण और तंबाकू को इंसानी फेफड़ों के लिए नुकसानदायक बताया है।
उनके मुताबिक वायु प्रदूषण की अधिकता दुनिया भर में फेफड़ों के एडेनोकार्सिनोमा (Lung adenocarcinoma – LADC) मामलों में वृद्धि कर रही है।
नानयांग टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू) सिंगापुर के नेतृत्व में हुई स्टडी यह भी दावा करती है कि संपूर्ण विश्व में तंबाकू (Tobacco) की कुल खपत घटाकर फेफड़ों के स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Lung squamous cell carcinoma – LSCC) का संक्रमण कम किया जा सकता है।
बता दें कि फेफड़े के एडेनोकार्सिनोमा को ऐसा कैंसर माना जाता है जो आनुवंशिक, पर्यावरणीय और जीवनशैली कारणों से जुड़ा होता है, जबकि फेफड़े के स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा से धूम्रपान करने वाले ज्यादा पीड़ित रहते है।
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एनटीयू और हांगकांग के चीनी विश्वविद्यालय के सहयोग से हुए अध्ययन का कहना है कि पृथ्वी के वायुमंडल में ब्लैक कार्बन की 0.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (μg/m3) वृद्धि, जिसे कालिख (soot) के रूप में भी जाना जाता है, वैश्विक स्तर पर एडेनोकार्सिनोमा की घटनाओं में 12 प्रतिशत वृद्धि करती है।
ब्लैक कार्बन एक प्रदूषक है जिसे PM2.5 के तहत वर्गीकृत किया गया है। शोध दल ने पाया कि यह साल 1990 से 2012 तक वैश्विक स्तर पर 3.6 μg / m3 वार्षिक रूप से बढ़ा है।
इस बीच, धूम्रपान के प्रसार में हुई एक प्रतिशत की गिरावट, वैश्विक स्तर पर स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के मामलों में नौ प्रतिशत की गिरावट से जुड़ी थी।
रिसर्च के मुताबिक, दुनिया भर में धूम्रपान करने वालों की संख्या में प्रति वर्ष 26 प्रतिशत की कमी आई है, जो 1990 से 2012 तक लगभग छह प्रतिशत की कमी दर्शाती है।
कैंसर जर्नल फॉर क्लिनिशियन के अनुसार, 2020 में अनुमानित 18 लाख मौतों के साथ फेफड़े का कैंसर, कैंसर का प्रमुख कारण बना हुआ है।
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वैश्विक आँकड़ों ने फेफड़ों के कैंसर के रुझानों पर प्रकाश तो डाला है, लेकिन उनके स्पष्ट कारण अभी तक समझ से परे बताए गए है।
ऐसे में, कैंसर की घटनाओं को रोकने के लिए तंबाकू के सेवन और वायु प्रदूषण पर लगाम कसने की आवश्यकता बताने वाली वर्तमान स्टडी महत्वपूर्ण समझी जा रही है।
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