Pollution and infertility: प्रदूषण की समस्या मानव जाति के अस्तित्व के लिए एक अभिशाप बनी हुई है।
कई रोगों के जनक प्रदूषण से अब पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता भी प्रभावित मिली है।
डेनमार्क की स्टडी ने वायु प्रदूषण (Air Pollution) से पुरुषों और ट्रैफिक शोर (Traffic noise) से महिलाओं में बांझपन (Infertility) का अधिक खतरा बताया है।
इस स्टडी में 30 से 45 वर्ष के 526,056 पुरुषों और 377,850 महिलाओं की जांच की गई थी।
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पेशेंट रिकॉर्ड से उनके बांझपन जबकि एड्रेस (Address) से सालाना PM2.5 प्रदूषण और सड़क ट्रैफिक शोर के स्तर का पता चला।
पांच वर्षों तक 2.9 µg/m3 की अधिकता वाले PM2.5 में रहने से 30-45 के पुरुषों में बांझपन का जोखिम 24% बढ़ गया था।
उतने वर्षों तक 10.2 डेसिबल की अधिकता के ट्रैफिक शोर से 35 से ज्यादा की महिलाओं में बांझपन 14% बढ़ने का डर था।
हैरानी की बात थी कि PM2.5 के प्रदूषण और ट्रैफिक शोर से 30 से 35 वर्ष की महिलाओं को बांझपन का खतरा नहीं था।
पुरुषों में भी ट्रैफिक शोर से 30-37 वर्ष वालों की अपेक्षा 37 से 45 वर्ष वालों को ही बांझपन का थोड़ा-सा खतरा था।
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लेकिन सभी ग्रामीण, शहरी, अमीर, गरीब महिलाओं और पुरुषों को शोर व वायु प्रदूषण से बांझपन का खतरा एक जैसा था।
नतीजों ने उपरोक्त खतरे से बचने के लिए शोर और वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने कीआवश्यकता बताई।
डेनमार्क के कई स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा संयुक्त रूप से की गई यह स्टडी ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) में प्रकाशित हुई थी।