संयुक्त राज्य अमेरिका के शोधकर्ताओं को 20 से अधिक अध्ययनों की समीक्षा से पता चला है कि ज्यादा चीनी युक्त खाद्य पदार्थ खाने से बच्चों के लिवर में चर्बी जमा होने की बीमारी बढ़ती जा रही है।
शोध को हाल ही में पीडियाट्रिक ओबेसिटी जर्नल में प्रकाशित किया गया।
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (nonalcoholic fatty-liver disease – NAFLD) दुनिया भर में बच्चों के आहार से जुड़ी एक समस्या है।
शोधकर्ताओं का कहना था कि लिवर में चर्बी का बढ़ता स्तर न केवल वयस्कों बल्कि बच्चों के लिए भी घातक है। टाइप 2 डायबिटीज की तरह, इस बीमारी को भी पहले केवल बड़ों की बीमारी माना जाता था, लेकिन ऐसा नहीं है।
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जल्द इलाज न किए जाने पर यह एक ऐसी गंभीर बीमारी बन सकती है जिसमें लिवर बदलने से लेकर मौत तक संभव है।
इसके होने वाले कारणों में मुख्यत: मोटापा, पारिवारिक इतिहास, व्यायाम की कमी और टेबल शुगर (चीनी) का अत्यधिक सेवन माना गया है।
चीनी ग्लूकोज और फलों में पाए जाने वाले मीठे फ्रुक्टोज से बनाई जाती है। लेकिन आजकल के पैकेटबंद फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स में इसका उपयोग बहुत ज्यादा मात्रा में होता है, जिसे बच्चे बहुत चाव से खाते-पीते है।
इस समीक्षा के बाद शोधकर्ताओं का सुझाव था कि बच्चों और युवाओं में अधिक चीनी सेवन को सीमित करने से शुरआती समय में ही फैटी लिवर बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है।
हालांकि, उनके सामने असल चुनौती इस बीमारी से जुड़े लक्षणों को समझना और उनकी सटीकता के अनुसार इस बीमारी का इलाज करना है।
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लिवर में चर्बी जमा होने की बीमारी ज्यादातर मोटे युवाओं के रक्त में मिलने वाले असामान्य लिवर एंजाइम के बाद पता चलती है, लेकिन इसकी सही पुष्टि के लिए अतिरिक्त परीक्षण किए जाने चाहिए, जिसमे बायोप्सी (biopsy) जरूरी है।
शोधकर्ताओं का कहना था कि इसके बाद ही रोग की गंभीरता और इलाज निश्चित किया जा सकेगा, जिसमें कुछ बच्चे को आहार और व्यायाम की तथा कुछ को कड़े इलाज की आवश्यकता हो सकती है।
लेकिन तब तक एक साधारण इलाज जो उनके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है वो है, दुनिया भर के बच्चों के खाने में अतिरिक्त चीनी को कम करना।
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