अच्छी सेहत और कार्य कुशलता के लिए निश्चित समय पर सोना और उठना फायदेमंद है, लेकिन भारतीयों को यह टेढ़ी खीर लगता है।
एक अध्ययन से पता चला है कि 90 फीसदी भारतीय सही समय पर नहीं सोते और 93 फीसदी से अधिक भारतीय पर्याप्त नींद (sleep) से वंचित रहते है। इसके कारण जागने के बाद वे स्वयं को बड़ा सुस्त, चिड़चिड़ा और अनमना-सा महसूस करते है।
गोदरेज इंटरियो कंपनी द्वारा किए गए एक हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक, नींद की कमी के पीछे लोगों की जीवनशैली (lifestyle) में आने वाले बदलाव प्रमुख कारण है।
महानगरों में रहने वाले 8,000 भारतीयों पर किए गए सर्वेक्षण के निष्कर्षों को साझा करते हुए कंपनी ने देशवासियों में नींद की बढ़ती कमी पर चिंता जाहिर की है।
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सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि हर दस उत्तरदाताओं में से नौ जागने के बाद सुस्त महसूस करते है।
लगभग 64 फीसदी उत्तरदाताओं ने स्वीकार किया कि टेलीविजन और मोबाइल उनके सोने के समय में देरी का कारण है। 55 फीसदी ने कहा कि वे आधी रात के बाद सोते है।
आपको बता दें कि विशेषज्ञ सोने का आदर्श समय रात 10 बजे के आसपास मानते है।
रात 10 बजे के बाद सोने जाना नींद के पैटर्न में बदलाव ला देता है, जिससे नींद कम आती है। फलस्वरूप इस आदत का सेहत पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई कि समय पर न सोने की समस्या केवल बड़ों तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि बच्चे भी इससे ग्रसित पाए गए।
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18 वर्ष से कम उम्र के 90 फीसदी रात को 10 बजे के बाद सोते है।
टेक्नोलॉजी और कई अन्य उपकरणों का चस्का तथा सोने से पहले उन्हें देखते रहना भी नींद की गुणवत्ता और अवधि को प्रभावित कर रहा है।
सर्वेक्षण के अनुसार, 18 से 25 वर्ष के युवाओं में से 58 फीसदी शायद ही कभी 10 बजे सोते हो, जबकि 29 प्रतिशत तो आधी रात से 2 बजे के बीच सोते है।
26 से 54 आयु वर्ग के केवल आठ फीसदी उत्तरदाता रात 10 बजे तक सो पाते है, जबकि 36 फीसदी उत्तरदाता छ: घंटे से कम नींद सोते है।
55 वर्ष से अधिक उम्र वालों का तो हाल और भी बुरा है। 41 फीसदी 10 बजे के बाद सोते है और 41 फीसदी शायद ही कभी 10 बजे सोए हो।
सर्वे में मुंबई के लोग सबसे अधिक नींद से वंचित पाए गए, जहां 95 फीसदी रात 10 बजे तक सोते ही नहीं। जबकि 35 फीसदी 12 बजे के बाद सोते है और 34 फीसदी छ: घंटे से कम समय के लिए सोते है।
दिल्लीवालों का भी हाल कोई ज्यादा अच्छा नहीं दिखा। यहां 72 फीसदी बहुत कम ही रात 10 बजे सोते है, जबकि 14 फीसदी से ज्यादा 12 बजे के बाद सोते है और 30 फीसदी तो छ: घंटे से कम सोते है।
छोटे शहरों और कस्बों में भी केवल 13 फीसदी निवासी रात 10 बजे तक सोते है। 35 फीसदी छ: घंटे से कम सोते है, जबकि केवल छ: फीसदी निवासी ही जागने के बाद चुस्त महसूस करते है।