Health Risks of Extreme Temperatures: बदलता मौसम आने वाले समय में मानव जाति को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है, ऐसा एक अध्ययन का विश्लेषण है।
द लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि भीषण गर्मी और ठंड से प्रभावित कई कारणों से इंसानों की मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है।
सिएटल स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने विश्व भर में व्याप्त दैनिक तापमान, मृत्यु के व्यक्तिगत कारणों, और कुल तापमान के बढ़ते दबाव से हुई मौतों का अनुमान लगाने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है।
नतीजों में बढ़ते दैनिक तापमान से हृदय रोग, स्ट्रोक, वायरस संक्रमण, हाई ब्लड प्रेशर से हुआ हृदय रोग, डायबिटीज, किडनी रोग, सांस और फेफड़ों की बीमारी जैसे मृत्यु के 17 कारणों को प्रभावित बताया गया है।
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इसके अलावा, हत्या, आत्महत्या, डूबना और अनजाने में चोट लगना तापमान के बढ़ने से जुड़े मौत के बाहरी कारणों में शामिल पाए गए है।
गर्मी और सर्दी से प्रभावित तापमान में उतार-चढ़ाव को ब्राजील और चीन के प्रति 100,000 में क्रमश: 8 से 35 मौतों का जिम्मेदार बताया गया है। इसमें इंसानों की वजह से हुई मौत का प्रतिशत बहुत कम रहा।
विश्लेषण में उपलब्ध सभी देशों के आंकड़े बताते है कि साल 2019 में, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया, उप-सहारा अफ्रीका और उत्तरी अफ्रीका तथा मिडिल ईस्ट में ज्यादातर इंसानों की मौत के पीछे भीषण गर्मी से उत्पन्न दबाव था, जबकि पूर्वी एवं मध्य यूरोप और मध्य एशिया में अधिक ठंड पड़ने के कारण इंसानों की जान गई।
विश्व स्तर पर अनुमानित 17 लाख मौतें, वातावरण में निम्न और उच्च तापमान से पड़ने वाले बोझ के कारण हुईं।
वैज्ञानिकों के विश्लेषण की मानें तो ज्यादातर क्षेत्रों में ठंडे तापमान का स्वास्थ्य पर अधिक प्रभाव पड़ता है। लेकिन इस अध्ययन में पाया गया है कि गर्म इलाकों में पड़ने वाले भीषण गर्मी के हानिकारक प्रभाव, ठंड के कारण होने वाले दुष्प्रभावों को भी पीछे छोड़ सकते है।
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उनके अनुसार, उच्च तापमान के सम्पर्क में आने से होने वाले खतरों में वृद्धि मानव स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ती चिंता का विषय है।
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