विशेषज्ञ शरीर में मौजूद फैट को कम करने के लिए अक्सर उपवास रखने की सलाह देते है लेकिन एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस धारणा को बेअसर बताया है।
सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, विश्व प्रसिद्ध रुक-रुक कर उपवास करना, जिसे इंटरमिटेंट फास्टिंग (intermittent fasting) कहा जाता है, लंबे समय तक अपनाने से फैट कम करने पर कोई असर नहीं डालता।
चूहों पर हुए एक अध्ययन में उन्होंने ऐसे उपवास के दौरान फैट टिश्यू पर होने वाले प्रभावों को देखा और पाया कि पेट और अन्य अंगों के चारों ओर जमा चर्बी ने अपना बचाव करते हुए उपवास के अनुसार स्वयं को ढाल लिया और वजन घटाने (weight loss) में अवरोध उत्पन्न कर दिया।
सेल रिपोर्ट पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, शोध दल ने हर दूसरे दिन किए जाने वाले उपवास के दौरान शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर जमा चर्बी की जांच की।
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इसमें पेट और त्वचा के नीचे मौजूद क्रमशः विसेरल (visceral fat) और सबक्यूटेनियस फैट (subcutaneous fat) में हुए बदलाव प्रमुख थे।
उपवास के दौरान, चर्बी के फैटी एसिड अणुओं से शरीर को काम करने के लिए ऊर्जा मिलती है। लेकिन पेट और अन्य अंगों में मौजूद विसेरल फैट उपवास के दौरान फैटी एसिड को ऐसा करने से रोकता है।
शोध दल को ऐसे संकेत भी मिले जिसमे विसेरल और सबक्यूटेनियस फैट ने अगले उपवास से पहले ऊर्जा को वसा के रूप में इकट्ठा करने की उनकी क्षमता में वृद्धि की।
इससे पता चला कि लंबे समय तक उपवास करते रहने से विसेरल फैट क्यों वजन घटाने को रोक देता है।
हालांकि, अध्ययन के निष्कर्ष वजन घटाने (weight loss) के इच्छुक लोगों के अन्य तरीकों जैसे सात में से दो दिन उपवास रखने या खाने में कैलोरी रोकने पर लागू नहीं होते।
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