Walking for low back pain: कमर के निचले हिस्से में दर्द रहना बड़ों के लिए एक आम समस्या बन गई है।
परेशानी की बात यह है कि इलाज से ठीक होने के कुछ समय बाद कमर दर्द वापस आ जाता है।
लेकिन सिडनी की एक यूनिवर्सिटी ने कमर दर्द में कमी के लिए रोज़ाना पैदल चलना लाभकारी बताया है।
मैक्वेरी यूनिवर्सिटी की स्टडी में प्रतिदिन चलने से कमर दर्द पीड़ितों को लगभग दोगुना लाभ पाया गया है।
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बता दें कि पीठ दर्द रोकथाम में एक्सरसाइज और देखभाल सर्वोत्तम इलाज माने गए है।
हालांकि, महंगी और जटिल होने के कारण कुछ एक्सरसाइज का सभी पीड़ित लाभ नहीं उठा पाते है।
एक अनुमान के मुताबिक, 2020 में वैश्विक स्तर पर 619 मिलियन लोग कमर दर्द से प्रभावित थे।
फिलहाल, वर्ष 2050 तक यह संख्या बढ़कर 843 मिलियन होने का अनुमान है।
कमर दर्द के लगभग 70% मरीज़ ठीक होने के बाद एक साल में ही दोबारा दर्द अनुभव करने लगते है।
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ऐसे में रोज़ाना देर तक चलने-फिरने से कमर दर्द दोबारा होने में कमी की जा सकती है।
यूनिवर्सिटी के स्पाइनल पेन रिसर्च ग्रुप की स्टडी ने चलने को एक प्रभावी और सुलभ इलाज बताया है।
ग्रुप के परीक्षण में पीठ के निचले हिस्से के दर्द से ठीक हुए 701 वयस्कों को शामिल किया गया था।
शामिल हुए ज़्यादातर व्यस्कों में 50 वर्ष से ऊपर की महिलाओं की संख्या अधिक थी।
उनमें से कुछ को चलने और कुछ को फिजियोथेरेपिस्ट-निर्देशित केयर प्रोग्राम में शामिल किया गया।
रिसर्च टीम ने दोनों प्रोग्राम में शामिल मरीज़ों की एक से तीन साल तक निगरानी की।
नतीजों में केयर प्रोग्राम की अपेक्षा पैदल चलने वालों में कमर दर्द की घटनाएँ कम पाई गई।
पैदल चलने वालों में दर्द दोबारा उठने से पहले की अवधि भी अधिक लम्बी थी (112 दिनों की तुलना में 208 दिन)
टीम के अनुसार, चलना एक कम लागत वाला सुलभ एवं सरल व्यायाम है जिसे लगभग हर पीड़ित अपना सकता है।
हालाँकि, पीठ दर्द रोकने के लिए चलना इतना अच्छा क्यों है, यह रहस्य रिसर्च ग्रुप ठीक से नहीं जान सका।
इसके पीछे रीढ़ की हड्डी व मांसपेशियों की मजबूती, तनाव से राहत, और ‘अच्छा महसूस कराने वाला’ हार्मोन एंडोर्फिन हो सकता था।
इसके अलावा, चलने से हड्डियों का घनत्व, संतुलित वजन और हृदय व मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहते है।
निष्कर्षों के आधार पर कमर दर्द निवारण के लिए चलने जैसी एक्सरसाइज को अन्य एक्सरसाइज की अपेक्षा बड़े पैमाने पर लागू किए जाने की उम्मीद है।
इस बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट से मिल सकती है।
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