यूएसए के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने माइंडफुलनेस मेडिटेशन (Mindfulness meditation) के अभ्यास से नशे की लत (Addictive behavior) छुड़ाने का दावा किया है।
यूटा यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने, दवाओं के बिना ही ध्यान द्वारा मस्तिष्क में सकारात्मक विचारों को बढ़ावा देकर नशीले पदार्थों की लत कम करने में सफलता प्राप्त की है।
जानकारी के लिए बता दें कि माइंडफुलनेस मेडिटेशन एक ऐसा मानसिक अभ्यास है जिससे नकारात्मक विचारों को दूर करके तन और मन को शांत रखा जा सकता है।
साइंस एडवांसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च, इस तरह के मेडिटेशन का अभ्यास करवाकर नशेड़ियों का कुशल इलाज संभव बताती है।
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यूनिवर्सिटी टीम के अनुसार, ड्रग्स लेने वालों को दिमाग में कम थीटा तरंगों (Theta waves) के चलते ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है।
थीटा तरंगों को इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (Electroencephalogram – EEG) स्कैन द्वारा आसानी से देखा जा सकता है।
देखा भी गया है कि कम थीटा तरंगों के परिणामस्वरूप इंसान अपनी आदतों के वशीभूत होकर आत्म-नियंत्रण खोने लगता है।
इसके विपरीत, जब कोई इंसान किसी कार्य में पूरी तरह से लीन होता है तो ईईजी स्कैन थीटा तरंगों में वृद्धि दिखाता है।
टीम की मानें तो थीटा तरंगों के बढ़ते ही हमारा दिमाग बहुत शांत हो जाता है। उस दौरान हम अपने आप पर कम लेकिन किसी कार्य पर अधिक ध्यान केंद्रित करते है।
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माइंडफुलनेस मेडिटेशन का अभ्यास करने से थीटा तरंगों में वृद्धि होती है और मस्तिष्क व्यसनी व्यवहार की तरफ़ ले जाने वाले विचारों को कम करता है।
रिसर्च टीम ने लंबे समय तक नशीले पदार्थ लेने वाले 165 वयस्कों पर इसका मजबूत असर होते देखा है।
आठ सप्ताह चले माइंडफुलनेस मेडिटेशन उपचार के बाद नशे की लत लगे इंसानों ने चमत्कारिक असर की अनुभूति की है।
उपचार समाप्त होने के नौ महीने बाद तक उनके नशीले पदार्थों के दुरुपयोग में उल्लेखनीय कमी जानी गई है।
बताया गया है कि मेडिटेशन रूपी चिकित्सा ने मस्तिष्क में थीटा तरंगों को बढ़ावा दिया ताकि नशेड़ियों को उनके व्यसनी व्यवहार पर आत्म-नियंत्रण करने में मदद मिल सके।
टीम के मुताबिक़, मेडिटेशन बिना किसी नशे के ही आपको भीतर से आनंद, शांति और तृप्ति की और भी बड़ी भावना खोजने में मदद कर सकता है।