Resistance exercise benefits: बढ़ती उम्र में अच्छी नींद और मांसपेशियों की ताकत कम होना दोनों ही आम समस्याएं है।
ख़ासकर वृद्धावस्था की ओर बढ़ते इंसान अक्सर उपरोक्त स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान रहते है।
ऐसी समस्याओं को चिकित्सा की भाषा में क्रमश: स्लीप डिसऑर्डर (Sleep disorder) और सरकोपेनिया (Sarcopenia) कहा गया है।
पीड़ित इंसानों की मांसपेशियों और चलने-फिरने की क्षमता में कमी आने लगती है। उनमें गिरने, चोट लगाने और मौत का ख़तरा बढ़ता है।
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सुखद और शांत नींद ने आने से शरीर में अन्य रोगों का भी ख़तरा पनपने लगता है।
प्रभावित व्यक्ति में जलन-सूजन बढ़ती है जो सोचने, समझने और याद रखने में कमी सहित हृदय और सांस संबंधी विकारों से जुड़ी है।
अब एक नई स्टडी ने इलाज के तौर पर दैनिक जीवन में रेजिस्टेंस ट्रेनिंग करना प्रभावी पाया है।
स्टडी में सार्कोपेनिया पीड़ित 75 वर्षीय 28 बुजुर्गों में से रेजिस्टेंस ट्रेनिंग करने वाले 14 को एक्सरसाइज से आराम पाया गया है।
यह वर्कआउट मांसपेशियों को मजबूती देने और सहनशक्ति सुधारने में काफ़ी मदद करता है।
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स्टडी से जुड़े एक्सपर्ट्स ने 14 बुजुर्गों को तीन महीने के लिए सप्ताह में तीन बार रेजिस्टेंस एक्सरसाइज करवाई थी।
इस दौरान उनके ऊपरी और निचले अंगों की मजबूती के लिए मध्यम तीव्रता की आठ एक्सरसाइज करवाई गई।
दूसरी ओर, उतनी की आयु के 14 बुजुर्गों को सरकोपेनिया से निपटने के लिए जीवनशैली में उचित बदलाव बताए गए।
स्टडी के अंत में, रेजिस्टेंस एक्सरसाइज करने वालों की मांसपेशियों की ताक़त में सुधार जाना गया।
इसके अतिरिक्त, उनकी नींद की गुणवत्ता में सुधार और बीमारियां करने वाली सूजन में कमी भी देखी गई।
ऐसा दो एंटी-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स (IL1ra और IL10) में वृद्धि के कारण संभव माना गया।
साइटोकाइन शरीर के कई कार्यों में सहायता करते है जिसमें इम्यून सिस्टम को मजबूती देना प्रमुख है।
साओ पाउलो फ़ेडरल यूनिवर्सिटी और विकोसा यूनिवर्सिटी की यह स्टडी इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ एनवायरनमेंट रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ में छपी थी।