जानवरों से मिलने वाले प्रोटीन को खाने से बढ़ती उम्र में मांसपेशियों के प्रदर्शन को सुधारा जा सकता है, ऐसा एक नए अध्ययन में दावा किया गया है।
बढ़ती उम्र से संबंधित समस्या सार्कोपेनिया (Sarcopenia), यानि मांसपेशियों का क्षय (muscles loss) रोकने और इलाज के लिए पशुओं या पौधों में से कौनसा प्रोटीन फायदेमंद है, इसे जानने के लिए शोधकर्ताओं के एक दल ने यह अध्ययन किया।
सार्कोपेनिया न केवल शारीरिक क्षमताओं के नुकसान से जुड़ा है, बल्कि कई बीमारियों की जड़ भी है जो स्वस्थ जीवन जीने में बाधा उत्पन्न करती है।
40 की उम्र से ही इसकी धीमी शुरुआत होने पर हम हर साल ताकत और मांसपेशियों को खोने लगते है।
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लेकिन डाइट में पर्याप्त प्रोटीन लेने से उम्र बढ़ने पर भी मांसपेशियों का सिकुड़ना और कमजोर होना रोका जा सकता है।
अध्ययन से पता चला कि पशु-आधारित प्रोटीन जैसे कम वसा वाला दूध, दही, बीफ, पोर्क, व्हे प्रोटीन और अन्य खाद्य पदार्थ शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से की ताकत और सहनशक्ति पर सकारात्मक प्रभाव डालते है।
जर्नल ऑफ क्लिनिकल मेडिसिन में छपे इस अध्ययन के खोजकर्ताओं ने साल 2016 से 2018 तक 91 अधेड़ वयस्कों को शामिल कर उनके आंकड़े इकट्ठे किए।
उनके भोजन और मांसपेशियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने पर शोधकर्ताओं ने अल्ट्रासोनोग्राफी से ऊपरी पैर की मांसपेशी के आकार की जांच की।
अध्ययन के परिणामों में पाया गया कि पशु-आधारित प्रोटीन का सेवन बेहतर मांसपेशियों के प्रदर्शन से जुड़ा था, जबकि पौधों पर आधारित प्रोटीन मांसपेशियों के रखरखाव और निर्माण को प्रोत्साहित करने के बजाय शरीर को ऊर्जा देने के रूप में कारगर था।
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