बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के एक्सपर्ट्स की सलाह है कि बच्चों को अगर बुद्धिमान बनाना हो तो उन्हें एक्टिव रखिए।
ऐसा उन्होंने 9 से 10 साल की उम्र के लगभग 6,000 बच्चों के न्यूरोइमेजिंग डाटा का इस्तेमाल करते हुए देखा।
उनकी रिसर्च का सार था कि नियमित शारीरिक गतिविधि (Regular Physical Activity) बच्चों के विकासशील मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्सों पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।
खेलने-कूदने या किसी भी प्रकार की अन्य शारीरिक गतिविधि दिमाग के हिस्सों को अधिक कुशलता से संगठित, लचीले और मजबूत रखती है।
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एक्सपर्ट्स के अनुसार, हर सप्ताह कम से कम 60 मिनट के लिए कई बार एक्टिव रहना दिमाग के कई कार्यात्मक क्षेत्रों की बेहतरी से जुड़ा है।
ये क्षेत्र सीखने, समझने और याद रखने से जुड़े कामों में जरूरी भूमिका निभाते है और ध्यान, स्पर्श, मोटर फ़ंक्शन, मेमोरी, निर्णय लेने और उसे लागू करने की क्षमता को बढ़ाते है।
यही नहीं, नियमित शारीरिक गतिविधि से बच्चों में वजन बढ़ने या मोटापा आने संबंधी दुष्प्रभाव भी कम होते है, जिससे दिमागी हिस्सों की कार्य कुशलता पर हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता।
एक्सपर्ट्स का कहना था कि प्रारंभिक किशोरावस्था दिमाग के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। इन क्षेत्रों में असामान्य परिवर्तन खराब व्यवहार और दिमागी क्षमता में कमी का कारण बन सकते है, जो बच्चों में आजीवन रहते है।
शारीरिक गतिविधि सीधे दिमाग के ढांचे को तो प्रभावित करती ही है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से वजन घटाकर नकारात्मक प्रभावों को भी कम करती है।
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अंत में, सेरेब्रल कॉर्टेक्स पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च कहती है कि बच्चों के दिमाग को स्वस्थ और कुशल बनाने के लिए उन्हें अधिक एक्टिव रहने के लिए प्रोत्साहित कीजिए।