How to stay healthy and prevent heart disease: आलस करने के बजाए एक्टिव रहने से जीवन में कुछ और साल जोड़े जा सकते है, ये कहना है एक स्टडी के वैज्ञानिकों का।
एक सक्रिय जीवनशैली (Active lifestyle) अपनाने के फायदे बताने वाली स्टडी ने, ढलती उम्र में भी ज्यादा एक्टिव (Active) रहने को दीर्घायु (Longevity) देने वाली बताया है।
बुढ़ापे में ऐसी आदत जवानी के दिनों की चुस्ती-फुर्ती जितनी ही फायदेमंद हो सकती है।
30,000 से अधिक हृदय रोगियों पर हुई इस स्टडी से पता चला है कि सक्रिय जीवनशैली ज्यादातर दिल की बीमारियों में लाभदायक है।
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ऐसे में, स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने हृदय रोग के सभी मरीजों को लंबी आयु के लिए नियमित रूप से चलने-फिरने या मध्यम से जोरदार तीव्रता की कुछ एक्सरसाइज करते रहने की सलाह दी है।
उनकी रिसर्च ने एक्टिव जीवनशैली और हृदय रोगियों की मौत के संबंधों की जांच की।
साढ़े सात साल तक चली उनकी रिसर्च में देखे गए रोगियों की औसत आयु लगभग 62 वर्ष थी, जिसमें 34 फीसदी महिलाएं थीं।
नतीजे बताते है कि निष्क्रिय रोगियों की तुलना में, उम्र बढ़ने पर भी सक्रिय रहने वालों में सभी कारणों से होने वाली मौत का जोखिम 50 फीसदी कम था।
यहां तक कि पहले सुस्त रहने वाले मरीजों के बाद की उम्र में एक्टिव हो जाने पर मौत का खतरा 45 फीसदी कम देखा गया। लेकिन जो मरीज पहले एक्टिव रहते थे और उम्र बढ़ने पर आलसी हो गए थे, उन्हें मौत का खतरा केवल 20 फीसदी कम था।
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ऐसे ही परिणाम हृदय रोग के कारण होने वाली मौतों पर भी देखे गए।
निष्क्रिय रहने वालों की अपेक्षा सक्रिय रहने वालों में दिल संबंधी परेशानियों से मृत्यु दर का जोखिम 51 फीसदी और रोजाना की एक्टिविटी में वृद्धि करने वालों को 27 फीसदी कम था।
स्टडी के परिणाम बताते है कि जवानी से ही एक्टिव लाइफस्टाइल रखना दीर्घायु से जुड़ा सबसे बड़ा कारण है।
हालांकि, हृदय रोग के मरीज आलस के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए बाद के जीवन में भी एक्सरसाइज अपनाकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। वहीँ, एक्टिव रहने वाले अगर उम्र बढ़ने पर सुस्त होते है तो उन्हें नुकसान हो सकता है।
यह रिसर्च यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के एक कार्यक्रम में प्रस्तुत की गई थी।