नागरिकों द्वारा शारीरिक गतिविधियों में ढिलाई (physical inactivity) दुनिया भर में गैर-संचारी रोगों और मौतों के 8 फीसदी हिस्से के लिए जिम्मेदार है, ऐसा ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है।
अध्ययन के अनुसार, वैसे तो इसका सबसे ज्यादा असर अमेरिका, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया जैसे उच्च आय वाले देशों (high-income countries) में देखने को मिला है, लेकिन भारत, पाकिस्तान, ब्राजील, श्री लंका, दक्षिण अफ्रीका जैसे मध्यम आय वाले देशों (middle-income countries) की जनसंख्या भी अब अपनी शारीरिक निष्क्रियता के कारण ज्यादा बीमारियों और मृत्यु का शिकार हो रही है।
साल 2016 में उच्च आय वाले देशों में शरीर को कम हिलाने-डुलाने का स्तर, कम आय वाले अफगानिस्तान और अफ्रीकन देशों के मुकाबले, दोगुने से अधिक होने का अनुमान लगाया गया था।
शारीरिक निष्क्रियता को मध्यम दर्जे की 150 मिनट से कम या प्रति सप्ताह 75 मिनट की कड़ी शारीरिक गतिविधि जैसे चलना, दौड़ना, खेलना आदि के रूप में परिभाषित किया गया है।
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इसमें ढिलाई के कारण समयपूर्व मृत्यु और मोटापा, कोरोनरी हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज तथा कई तरह के कैंसर जैसे गैर-संचारी रोगों का खतरा शामिल है।
दुनिया भर में शारीरिक गतिविधियों की कमी और 80 फीसदी उपर्युक्त बीमारियों से होने वाली मौतें कम और मध्यम आय वाले देशों में होने के कारण, अध्ययन के विशेषज्ञों ने साल 2016 में 168 देशों से लिए गए आंकड़ों द्वारा इससे होने वाले प्रभावों का अनुमान लगाया।
उनके अनुसार, बढ़ती निष्क्रियता के कारण हाई ब्लड प्रेशर लगभग दो फीसदी और डिमेंशिया (दिमागी विकार) का स्तर आठ फीसदी रहा ।
हालांकि अमीर देशों की जनसंख्या पर शारीरिक गतिविधियों को न करने का असर दोगुना था, लेकिन अपने अधिक जनसंख्या आकार के कारण मध्य-आय वाले देशों में सुस्त रहने से कुल मौतों और हृदय रोग से होने वाली मौतों का स्तर क्रमश: 69 फीसदी और 74 फीसदी रहा।
कम एक्टिव रहने से होने वाली बीमारियों का सबसे अधिक दुष्प्रभाव लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों तथा उच्च-आय वाले पश्चिमी और एशिया प्रशांत देशों में देखने को मिला। जबकि सबसे कम प्रभाव उप-सहारा अफ्रीका, ओशिनिया, पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में रहा।
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अध्ययनकर्ताओं की माने तो सक्रिय न रहने से दुनिया भर की स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ बढ़ रहा है और सभी देशों को इस समस्या से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत पड़ेगी।
इसलिए विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) ने साल 2030 तक पूरी दुनिया में बढ़ती शारीरिक गतिविधियों में कमी को 15 फीसदी तक घटाने का लक्ष्य अपनाया हुआ है।
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