शारीरिक फिटनेस (Physical fitness) के कारण भूलने की बीमारी होने की संभावना कम ही रहती है, ऐसा एक स्टडी के नतीजों का कहना है।
वाशिंगटन, डी.सी. स्थित हेल्थकेयर संस्थाओं के विशेषज्ञों की इस हालिया स्टडी में शारीरिक रूप से कम फिट इंसानों में याददाश्त और अन्य मानसिक कार्यों को क्षति पहुंचाने वाले अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s disease) की संभावना ज्यादा पाई गई है।
स्टडी के दौरान देखा गया कि जैसे-जैसे लोगों की फिटनेस में सुधार हुआ, उनमें अल्जाइमर रोग का ख़तरा भी कम होता गया।
ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह थी कि शारीरिक फिटनेस में सुधार करते रहने से वृद्धावस्था में इस रोग से बचाव संभव होगा।
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स्टडी के लिए सेना से रिटायर हो चुके 61 साल के साढ़े छ: लाख बुजुर्गों का स्वास्थ्य रिकॉर्ड देखा गया। विशेषज्ञ दल ने उनमें अल्जाइमर रोग का विकास देखने के लिए नौ साल तक नज़र रखी।
उनकी फिटनेस से जुड़े शारीरिक और मानसिक कारणों का विश्लेषण करने के बाद विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंचे कि सबसे फिट बुजुर्गों में अल्जाइमर रोग विकसित होने की संभावना सबसे कम फिट बुजुर्गों की तुलना में 33 प्रतिशत घटी हुई थी।
ऐसे अनफिट बुजुर्गों की अपेक्षा मध्यम दर्ज के फिट बुजुर्गों में बीमारी विकसित होने की संभावना 26 प्रतिशत और फिटनेस में उनसे निचला दर्जा प्राप्त बुजुर्गों में 13 प्रतिशत कम थी।
हालांकि, फिटनेस स्तर में वृद्धि के साथ ही इस बीमारी के मामलों में गिरावट भी देखी गई।
विशेषज्ञों ने बुजुर्गों में फिटनेस बढ़ाकर इस बीमारी के विकास को रोकने के लिए हफ्ते में पांच दिन 30 मिनट या उससे अधिक समय तक तेज चलना ज़रूरी बताया।
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उनके अनुसार, क्योंकि इस रोग की प्रगति को रोकने या बचाव के लिए पर्याप्त उपचार उपलब्ध नहीं है, इसलिए केवल अपनी गतिविधि को बढ़ाकर ही जोख़िम को कम कर सकते है।
स्टडी के नतीजे अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी की अप्रैल में होने वाली वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किए जायेंगे।