एक्सरसाइज करने वालों को अस्पताल, आईसीयू में भर्ती होने या कोरोना वायरस (COVID-19) संक्रमण से मौत का कम खतरा होता है, ऐसा एक स्टडी में पता चला।
COVID-19 की चपेट में आए लगभग 50,000 इंसानों पर हुई स्टडी को हाल ही में ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित किया गया।
स्टडी करने वाले कैसर परमानेंट साउथर्न कैलिफ़ोर्निया के जांचकर्ता यह देखकर हैरान हुए कि कभी-कभार एक्सरसाइज करने वालों को भी आलसियों के मुकाबले गंभीर COVID-19 होने का खतरा कम था।
जांचकर्ताओं के अनुसार, COVID-19 के इस दौर में एक्सरसाइज एक ऐसी दवा है, जो हर किसी को लेनी चाहिए।
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स्वस्थ जीवनशैली के लिए फिजिकल एक्टिव (Physical Active) रहना बहुत जरूरी है।
स्टडी में स्पष्ट रूप से देखा गया कि नियमित एक्सरसाइज करने वालों ने COVID-19 को हराया, लेकिन निष्क्रिय रहने वालों का हाल बहुत बुरा हुआ।
स्टडी में शामिल रोगियों की औसत आयु 47 वर्ष थी, जिसमें 61.9 फीसदी महिलाएं थीं।
कुल प्रतिभागियों में से 6.4 फीसदी नियमित रूप से एक्टिव रहते थे और 14.4 फीसदी आलस भरा जीवन जीते थे। बाकी कभी-कभी एक्सरसाइज करते रहते थे।
सभी COVID-19 रोगियों में से 8.6 फीसदी अस्पताल में और 2.4 फीसदी आईसीयू में भर्ती हुए। कुछ 1.6 फीसदी की संक्रमण से मृत्यु हो गई।
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जो निष्क्रिय या आलस में आकर चलना-फिरना नहीं करते थे, उन पर COVID-19 के बुरे नतीजे देखे गए।
नियमित रूप से एक्टिव रहने वालों की अपेक्षा उनकी अस्पताल जाने की संभावना दोगुनी थी। साथ ही, आईसीयू में भर्ती होने और गंभीर कोरोना से मरने का खतरा भी सबसे ज्यादा था।
यहां तक कि संक्रमण से ग्रस्त कभी-कभी एक्सरसाइज करने वाले भी उनसे अच्छी हालत में देखे गए।
स्टडी से जुड़े जांचकर्ताओं का सुझाव था कि थोड़े समय की फिजिकल एक्टिविटी भी फायदेमंद होती है।
सप्ताह में पांच दिन, मध्यम गति से 30 मिनट तक की वॉक भी कोरोना के खिलाफ एक जबरदस्त सुरक्षात्मक प्रभाव दे सकती है।
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