कम बैठने और ज्यादा एक्टिव रहने से शरीर खाने से मिलने वाली ऊर्जा को अच्छे से इस्तेमाल कर सकता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) होने का खतरा कम रहता है।
ऐसा करते रहने से 60 साल से अधिक के बुजुर्गों को भी फायदा होता है।
इससे जुड़े एक अध्ययन में 67 से 69 साल के 660 लोगों को दो हफ्तों के लिए शामिल किया गया।
उन्हें मध्यम-से-जोरदार शारीरिक गतिविधि करने और बैठे रहने के समयाधार पर पड़े रहने वाले, कम चलने वाले, थोड़ा बहुत घूमने-फिरने वाले और चुस्त रहने वाले ग्रुप में रखा गया।
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अनुसंधान से पता चला कि पड़े रहने वाले वृद्ध वयस्कों की तुलना में चुस्त बुजुर्गों में शुगर और इसके होने की घटनाएं कम थी।
यही नहीं, चुस्ती-फुर्ती से रहने वालों में ब्लड ग्लूकोज और इंसुलिन का स्तर, कम फिजिकल एक्टिव बुजुर्गों के मुकाबले, नीचे था।
कुछ न करने वाले और ज्यादातर बैठे या पड़े रहने वाले बुजुर्गों की इंसुलिन सेंसिटिविटी (insulin sensitivity) और ब्लड ग्लूकोज सबसे ज्यादा खराब था।
अध्ययनकर्ताओं का कहना था कि शारीरिक गतिविधि का ग्लूकोज के इस्तेमाल से सीधा संबंध था।
उम्र बढ़ने के साथ ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म (glucose metabolism) संबंधी विकारों का जोखिम काफी बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप टाइप 2 डायबिटीज होने का डर लगा रहता है।
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इसलिए एक सक्रिय जीवनशैली, जिसमें शारीरिक गतिविधियां ज्यादा और सीमित समय गतिहीन रहना शामिल है, ग्लूकोज के निरंतर इस्तेमाल को बढ़ावा देता है और हर उम्र वालों में डायबिटीज रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।